लगातार नियमों की अनदेखी एवं अपनी मनमानी करते चले आ रहे है वीसी, शासन मौन है क्यों ?




जौनपुर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियमों की अनदेखी कर अपनी मनमानी के लिए मशहूर कुलपति प्रो. राजा राम यादव की कुछ मनमानियां उनके कार्यकाल के अन्तिम दिनों में भी चर्चा ए खास बनी है । इस बार इनके कृत्य से पीड़ित शिक्षक एवं  कर्मचारी कुलाधिपति तक इनके कारनामो को पहुंचाने में लग गये है। महामहिम  राज्यपाल / कुलाधिपति शिकायत को कितनी गम्भीरता से लेंगे यह तो उन पर निर्भर करता है। लेकिन जिले के प्रबुद्ध जन कुलपति मनमाने पन की आलोचना कर रहे हैं। कुलपति की कार्यप्रणाली से निश्चित रूप से प्रदेश की सरकार कटघरे में खड़ी हो रही है। आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे वर्तमान कुलपति को सरकार कैसे और क्यों बर्दाश्त कर रही है ।

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में कुलपति का कार्यभार ग्रहण करने के बाद से आज तक तमाम ऐसे कार्य प्रो. राजाराम यादव द्वारा किया गया है जो विधि सम्मत नहीं रहा है । अपने कार्यकाल में लगभग पांच दर्जन से अधिक अपने चहेतों को विश्वविद्यालय में नौकरी देने का काम किया जो विश्वविद्यालय की अर्थव्यवस्था पर असरकारक है।
ताजा मामला प्रकाश में आया है कि इनके द्वारा लगभग एक साल से कम समय से विश्वविद्यालय के कैम्पस में संचालित विधि विभाग में कार्यरत संविदा के सात शिक्षकों को गत एक सप्ताह के अंदर ही नियमित कर दिया है जो पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। यहां बतादे कि संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने के लिए शासनदेश है कि पहले तो कुलाधिपति से पद को स्वीकृत कराया जाये फिर उसका विज्ञापन किसी समाचार पत्र में हो तत्पश्चात कुलाधिपति द्वारा नामित पैनल द्वारा सभी का साक्षात्कार हो इसके बाद चयनित अभ्यर्थियों को नियमित नियुक्ति की जा सकती है। यहां पर इन सब प्रक्रियाओं का एक दम पालन नहीं किया गया। चूंकि कुलपति को कुलाधिपति द्वारा दिये गये सेवा विस्तार का समय खत्म होने को और जिन्हें नियमित किया गया वे सभी इनके खास थे इसलिए सभी नियम कानून खत्म कर सीधे नियमित करने का दुस्साहस किया गया है।


यहाँ पर एक बात का खुलासा और भी जरूरी है कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय में विगत 10 से 15 वर्षों से अन्य संकायों जैसे एमबीए,साइन्स, इंजीनियरिंग आदि विभागों में संविदा पर कार्यरत शिक्षकों अथवा कर्मचारियों को नियमित करने अथवा पद सृजन के बाबत कोई कार्यवाही कुलपति ने नहीं किया एक साल से कम समय में अपने स्तर से रखे अपने चहेतों को नियमों की अनदेखी कर नियमित करने की स्वीकृति प्रदान कर दिया है। अब इस आदेश का पालन आकंठ भ्रष्टाचार के आरोपों से नाता रखने वाले नव नियुक्त रजिस्ट्रार बीबी तिवारी के द्वारा किया जायेगा।
विश्वविद्यालय के लिए शासन से नियुक्त रजिस्ट्रार सुजीत कुमार जायसवाल द्वारा कुलपति के गलत कार्यो का विरोध करने के मामले को लेकर आपस में  तलवार खिंच जाने से रजिस्ट्रार को अवकाश ग्रहण करने के बाद कुलपति ने एक ऐसे शिक्षक पर भरोसा किया जो विगत वर्षों में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण काफी समय तक निलम्बित रहा है। वह अब कुलसचिव बन गया है जबकि नियमा नुसार वह कुलसचिव बन ही नहीं सकता है लेकिन कुलपति ने नया इतिहास बनाते हुए पहली बार एक शिक्षक को रजिस्ट्रार बना दिया। यहां भी नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कि कुलपति का कार्यकाल जब एक मई को खत्म हो गया तो महज तीन माह के लिए कार्यकाल बढ़ाया गया है  शासनदेश है कि जब तीन महीना कार्यकाल शेष रहे तब कुलपति के लगभग सभी पवार सीज हो जाते वह किसी की नियुक्ति एवं  वित्तीय मामलों में कोई निर्णय नहीं ले सकता है लेकिन यहाँ तो सब कुछ हो रहा है यह भी तो एक तरह से नियमों की अनदेखी ही है। 

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