प्रवासी श्रमिकों को लेकर सरकारो के दावे है हकीकत से काफी दूर - मायावती



लखनऊ। लम्बे समय बाद बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी प्रवासी मजदूरों को लेकर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार पर हमला बोला है । उनका कहना है कि प्रवासी श्रमिकों को लेकर सरकारे जितने दावे कर रही है वह दावे हकीकत से काफी दूर हैं। यूपी सरकार लौटने वाले लाखों प्रवासी श्रमिकों को रोजी-रोटी की व्यवस्था करने के लिए कभी अधिकारी व कभी मंत्रियों के समूह गठित कर रही है, लेकिन उसका सार्थक परिणाम कुछ नहीं निकल पा रहा है। इसलिए उनकी दयनीय हालात पर केन्द्र व राज्य सरकारों को जरूर गंभीरतापूर्वक सोच-विचार करके समस्या का समाधान शीघ्र निकालना चाहिए।
बसपा अध्यक्ष मायावती ने आज कहा कि देश में कोरोना वायरस व लाॅकडाउन के कारण लाखों की संख्या में बेरोजगार व मजलूम बनकर खासकर यू.पी. में अपने घर वापसी करने वालों की उनकी योग्यता के मुताबिक सरकारी रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद भी, उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं होने से पढ़े-लिखे डिग्रीधारी लोग भी मनरेगा के तहत गढ्ढा खोदने की दैनिक मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं जिसका नकारात्मक प्रभाव देश व समाज तथा शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ रहा है कि आखिर पढ़ाई किस काम की, जिसे रोका जाना चाहिए।
मायावती ने कहा कि वैसे तो कोरोना महामारी के कारण लगातार 74 दिनों से जारी लाॅकडाउन की वजय से पूरा देश प्रभावित हुआ है किन्तु इससे सबसे ज्यादा बुरी तरह से देश के करोड़ों गरीब व प्रवासी श्रमिकों का परिवार त्रस्त हुआ है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी की मार के कारण उनका जीवन पीड़ा असहनीय होने के कारण ही उन्हें जैसे-तैसे अति-कष्ट सह करके अपने मूल राज्य लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लेकिन केन्द्र व राज्य सरकारें उनके जीने के लिए अभी तक भी कोई ठोस व सार्थक उपाय नहीं कर पाई है।
मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार नये उद्योग-धंधे शुरू कराने की बात कर रही है, यह अच्छी बात है व इसका स्वागत है परन्तु उसमें समय लगेगा। इसलिए वर्तमान समस्या का फौरी समाधान तभी निकल सकता है जब 24 मार्च से बन्द देशव्यापी लाॅकडाउन के कारण बंद हुए तमाम उद्योग-धंधों को दोबारा फिर से चालू कराया जाएगा।

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