भूमि पूजन के समय समाज को संदेश देने का किया काम, हर समय दुनियां के आदर्श रहे राम - पीएम मोदी
अयोध्या: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के आयोजित कार्यक्रम में राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम के दौरान उन्होंने समाज को संदेश देने का प्रयास किया है। उस दिशा पर यदि समाज आगे बढ़े तो वास्तव में सबका साथ सबका विश्वास सबका विकास का नारा सार्थक हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या के कार्यक्रम की शुरुआत ही जय सियाराम का उद्बोधन कर शांत वातावरण कायम रखने का पूरा प्रयास किया। और मंदिर निर्माण को राम के आदर्श के रूप में स्थापित करने का एक संदेश भारत देश से विश्व को देते हुए यह बताने की कोशिश की कि राम काल से आज तक राम जैसा व्यक्तित्व नहीं हुआ। और हर काल में यहां तक कि स्वतंत्रता आंदोलन में भी गांधी जी ने भी राम को ही अपना आदर्श माना। आंदोलन किए राम के नाम के ही भजन गाए गए। इसलिए राम नाम ही सर्वोच्च है। ऐसी उनकी अभिलाषा परिलक्षित हो रही थी। राम मंदिर से पहले उन्होंने जिनके बिना राम का कार्य नहीं चलता था ऐसे महाबली बजरंगबली हनुमान जी का दर्शन पूजन किया।
राम मंदिर परिसर में पहुंचकर श्री मोदी ने साष्टांग दंडवत के अंदाज में जिस तरह पूजन अर्चन किया इससे पूरी तरीके से परिलक्षित हुआ कि वह राम मय हो गए। उसके बाद पूरा का पूरा उद्बोधन उनका राम के आदर्शों के इर्द-गिर्द घूमता रहा। चाहे गरीबों की बात हो चाहे आर्थिक संपन्नता की बात हो चाहे न्याय की बात हो चाहे विकास की बात हो। कोई भी बात हो सब पर से राम के आदर्श को रेखांकित करते हुए मोदी ने बताने की कोशिश की यहां राम का आदर्श ही सर्वोपरि है। राम का आदर्श मजबूत रहेगा तो यह अयोध्या का भगवान श्री राम का मंदिर युगो युगो तक जाना पहचाना जाएगा और सबको प्रेरणा देगा नेतृत्व करेगा। मोदी की भावना को अगर वास्तव में लोगों ने साकार किया तो आने वाला दिन रामराज्य की तरफ बढ़ेगा ऐसा उनका उद्बोधन इंगित करता है।
जब तक श्री राम जन्म भूमि का विवाद चलता रहा तब तक मोदी से लेकर जवाहरलाल नेहरू तक कोई भी प्रधानमंत्री पूजा अर्चना के लिए उस परिसर में नहीं आया। लोग आए हनुमानगढ़ी का दर्शन किया जनसभाएं कीं और वापस चले गए। परंतु विवाद के समापन के बाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्व के साथ इस परिसर में आकर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ राम के आदर्शों को समाज में अंगीकार करने की वकालत करते हुए भारत को विश्व का नेतृत्व करने का मंत्र बता गए।
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