शीतलहर बढ़ी: जन जीवन अस्त व्यस्त ठंड से बचाव की व्यवस्था प्रशासनिक लापरवाही का संकेत



गरीब, मजदूर, आम जनता, ठंड में ठिठुरने को हो गयी है मजबूर,नहीं जल रहे हैं अलाव  

जौनपुर। बढ़ते शीतलहर के कारण अब ठंड ने महारूप धारण कर लिया है। परिणाम स्वरूप अब लगातार पारा नीचे की ओर भाग रहा है। हवायें भी सर्द हो चली है। जिसके कारण जन जीवन बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। बढ़ते कड़ाके की ठंड के चलते वैज्ञानिकों सहित शासन की ओर से लगातार एलर्ट जारी किये जा रहे हैं। लेकिन जनपद में इस भीषण ठंड से बचाव की जो व्यवस्थायें की गयी है वह यह संकेत करती है कि जिला प्रशासन के स्तर से ठंड को लेकर आम जन मानस गरीब आवाम के प्रति कितनी लापरवाहीयां बरती जा रही है। 
यहाँ बतादे कि शासनादेश है कि शीतलहर से बचाव के लिए सभी तहसील सहित जनपद मुख्यालय पर पर्याप्त संख्या में रैन बसेरा की व्यवस्था किया जाये। लेकिन यहां जनपद में जनपद मुख्यालय पर दो तो तहसील स्तर पर एक रैन बसेरा दिखावे के लिए किया तो गया है लेकिन वहां पर यात्रियों के लिए जो व्यवस्थायें की गयी है वह नाकाफी नजर आ रही है। 
सबसे पहले यह बतादे कि किसी भी रैन बसेरा में कोविड 19 की गाइड लाइन का पालन कतई नहीं किया जा रहा है ।गाइड लाईन के अनुसार बिस्तरो की चादरें रोज बदली जायें लेकिन ऐसा नहीं है। तकथ अथवा जमीन पर पतला गद्दा एवं पतली रजाई रख दिया गया है जो इस कड़ाके की ठंड से बचाव में नाकाफी है। 
मुख्यालय स्थित रोडवेज में बने रैन बसेरा का निरीक्षण करने पर पता चला कि यहां पर कोई कर्मचारी नहीं रहता है ।हां पतले गद्दे और दो चार गड्डी पुआल का रैन बसेरा के पास फेंका पड़ा है ।वहां पर यात्रियों के लिए अलाव आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं जब से रैन बसेरा बनाया गया है शुरू के समय जो गद्दा रजाई रखी गयी थी उसे बदलने की जरूरत नगर पालिका ने नहीं समझा है। यहां लोग एक दूसरे से सट कर बैठे रात बिताने को मजबूर हैं। 
रेलवे स्टेशन में बने रैन बसेरा में ट्रेनो का परिचालन कम होने के कारण यात्री कम आ रहें है लेकिन जो आ भी रहे इस कड़ाके की ठंड में रैन बसेरा में भी ठिठुरने को मजबूर हैं। क्योंकि यहाँ पर सरकारी तंत्र द्वारा केवल जिम्मेदारी को पूरी करने तक सीमित रहना दर्शाता है। न तो अलाव की व्यवस्था है नहीं रैन बसेरा पूरी तरह से ढका हुआ है। उसके चारों तरफ से ठंड हवायें यात्रियों के हाड़ को कंपा दे रही है। 
तहसील में बने रैन बसेरो की स्थिति यह है कि शासनादेश है इस लिये एक स्थान पर वेड और बिस्तर रख दिया गया है उसमें यात्री रूके न रूके किसी से कोई सरोकार नहीं है। रही अलावा की बात जनपद मुख्यालय पर कुछ स्थानों पर जहां के सभासदो ने दबाव बनाया वहां पर तो अलाव दिख रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी किसी बाजार अथवा तहसील मुख्यालय पर अलाव की कोई व्यवस्था न होना जिला प्रशासन की लापरवाही का संकेत करता है। तहसील में बने रैन बसेरा के बिषयक जो खबर आयी है उसके अनुसार मड़ियाहूं में एक सुलभ शौचालय के उपर बने रैन बसेरा में छः वेड लगे हैं लेकिन अलाव की कोई व्यवस्था नहीं है। मुंगराबादशाहपुर से मिली खबर के अनुसार यहां पर 15  वेड का रैन बसेरा बना है लेकिन यहाँ पर भी अलाव की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पर व्यवस्था देख रहे कर्मचारी के अनुसार अब तक कोई यहाँ रात्रि विश्राम के लिए नहीं रूका है। केराकत तहसील क्षेत्र के मुफ्तीगंज बाजार के व्यापारी बताते हैं कि सरकारी स्तर से इस भीषण ठंड से बचाव के लिए किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं किया गया है।  लोग भीषण ठंड में जीवन जीने के लिए मजबूर हो गये है।  

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