रामचरित मानस को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य से पार्टी ने किया किनारा, राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हुए नाराज


सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर दिए गए बयान से उनके अपने भी नाराज हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी मौर्य के बयान पर नाराजगी जताई है। वहीं, पार्टी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है। इस पर सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने बयान जारी कर कहा कि ये स्वामी प्रसाद मौर्य का निजी बयान है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस पर दिए गए एक बयान में इस पवित्र ग्रंथ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
स्वामी के बयान पर भाजपा नेता अपर्णा यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि  स्वामी प्रसाद मौर्य अपने चरित्र का उदाहरण दे रहे हैं। सच तो ये है कि उन्होंने रामचरित मानस पढ़ा ही नहीं हैं। राम भारत का चरित्र है। राम आज भी उतने की महत्वपूर्ण हैं। रामचरितमानस का लगभग हर भाषा में अनुवाद हो चुका है। हजारों वर्षों के बाद भी आज भी कहीं इसका पाठ होता है तो नया जैसा लगता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी राम को सम्मान देते हैं। इतने महत्वपूर्ण ग्रंथ पर टिप्पणी करना गलत है। ये बयान स्वामी प्रसाद की मानसिकता को दर्शाता है।

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