सरकार का आदेश: अब हर मरीज का 48 घन्टे तक इमरजेंसी में होगा फ्री इलाज, जानें क्या होगी व्यवस्था


लखनऊ। पैसे के अभाव में किसी गंभीर मरीज की जान नहीं जाएगी। खास तौर पर गरीबों की चिंता करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दिल के साथ-साथ सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया है। उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है कि हर मरीज का 48 घंटे तक इमरजेंसी में निश्शुल्क उपचार किया जाएगा। इसके लिए पहली बार लाइव इमरजेंसी मानीटरिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है, जिस पर सरकार तीन हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अक्सर अपने भाषणों में इस बात का जिक्र करते हैं कि हमारे लिए हर जान कीमती है और हर मौत दुखद। जनहानि को रोकने के लिए सीएम योगी के निर्देशों पर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में आमूलचूल परिवर्तन की तैयारी की जा रही है। 'एक जिला, एक मेडिकल कालेज' सहित कई योजनाओं पर काम कर रही सरकार लाइव इमरजेंसी मानीटरिंग सिस्टम लागू करने जा रही है। इसमें कोविड कमांड सेंटर की तर्ज पर इंटीग्रेटेड ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन सेंटर की स्थापना की जाएगी। इस सेवा के तहत एक काल पर इमरजेंसी में एंबुलेंस पहुंचेगी और अस्पताल में तुरंत इलाज शुरू होगा। इस पर सरकार द्वारा तीन हजार करोड़ रुपये पांच वर्षों में खर्च किए जाएंगे।

सबसे अधिक 1614 करोड़ रुपये आधारभूत सुविधाएं विकसित करने के लिए होंगे। इसके अलावा ट्रामा और नान ट्रामा मेडिसिन रोगियों के निश्शुल्क उपचार में हर साल औसतन 550 करोड़ रुपये खर्च आएगा। इसी तरह एंबुलेंस सेवाओं पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 750 एंबुलेंस खरीदी जाएंगी। एंबुलेंस संचालन, प्रशिक्षित स्टाफ के वेतन और प्रशिक्षण पर भी करीब 165 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके अलावा काल सेंटर, कमांड सेंटर, साफ्टवेयर के संचालन ओर मरम्मत आदि के लिए सालाना 125 करोड़ रुपये खर्च अनुमानित है। सरकारी प्रवक्ता का दावा है कि ऐसी व्यवस्था करने वाला देश में उत्तर प्रदेश पहला राज्य होगा। 


चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि लाइव इमरजेंसी मानीटरिंग सिस्टम प्रदेश में लागू करने के लिए योजना बनाकर चरणबद्ध ढंग से काम किया जा रहा है। उनका कहना है कि किसी भी इमरजेंसी रोगी के जीवन के लिए शुरुआत के 48 घंटे काफी अहम होते हैं, इसलिए पहले 48 घंटे तक रोगियों को निश्शुल्क उपचार उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। जो रोगी अकेले होते हैं या जिन मरीजों के तीमारदार के पास तत्काल पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था नहीं हो पाती है, उनके साथ-साथ आम जन को भी इस व्यवस्था से काफी राहत मिलेगी।

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