पंचायत चुनाव में शिक्षकों की मौत के आंकड़े और अनुग्रह राशि के मुद्दे पर अब जंग की संभावना



उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में ड्युटी के दौरान अपनी जान गवां बैठे प्राथमिक शिक्षकों के मामले में अब शिक्षक संघ और प्रदेश सरकार के बीच टकराव की नौबत आ गयी है। जहां उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ड्युटी के दौरान 1621 कर्मियों की कोरोना से मौत का दावा कर रहा है वहीं राज्य सरकार ने इस इसे खारिज करते हुए कहा है कि इस दौरान केवल तीन कर्मियों की ही मौत होना स्वीकार रहा है। सबसे अधिक आजमगढ़ में कर्मियों की मृत्यु अभी दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने एक सूची जारी की थी जिसमें हर जिले का विवरण देते हुए कहा गया कि पंचायत चुनाव में ड्युटी के दौरान कोरोना से किस जिले में कितने अनुदेशकों अनुदेशकों शिक्षा मित्रों व कर्मचारियों की मौत हुई है। पारदर्शिता के लिए इस सूची में मृतकों का मोबाइल नम्बर भी दिया गया है। इसमें सबसे अधिक आजमगढ़ जिले में इस क्षेत्र से जुडे़ 68 लोगों के नाम दिए गए हैं। 
साथ ही यह भी मांग की गयी थी कि मृतकों के परिजनों को एक एक करोड़ रुपए की सहायता राशि देने के साथ ही यदि परिवार में यदि कोई सदस्य बीएड है, अथवा डीएलएड है और वह आश्रित है तो टीईटी में छूट देते हुए उसे नौकरी दी जाए। जबकि अन्य आश्रितों को सरकारी कार्यालयों में नौकरी दी जाए। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने दावा किया पंचायत चुनाव का तीसरा चरण आते आते 706 शिक्षकों कर्मचारियों की मौत हो गयी लेकिन मतगणना होने तक यह संख्या 1600 पार कर गयी। 
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने इन सारे दावों को निराधार बताते हुए कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार जिलाधिकारियों द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग को अभी तक के बारे में मृत्यु की प्रमाणित सूचना भेजी गयी है जिसके अनुसार ही मृतकों को अनुमन्य अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा। सरकार की तरफ से यह भी कहा गया है कि गाइडलाइन के अनुसार निर्वाचन अवधि की गणना मतदान तथा मतदान संबधी प्रशिक्षण कार्य के समय निवास स्थान से ड्युटी स्थल तक पहुंचने तथा ड्युटी खत्म होने के बाद उसके निवास स्थान तक पहुंचने की अवधि तक ही मान्य है। इस अवधि में किसी भी कारण से मृत्यु की दशा में अनुग्रह राशि अनुमन्य है जिसका निर्धारण राज्य निर्वाचन आयोग ही करता है। राज्य सरकार के इस कथन के बाद उप्र प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों में रोष है। संघ का कहना है कि जल्द ही बैठक कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी वाड्रा ने पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान शिक्षकों की मौत पर ट्वीट किया है। ट्वीट में उन्होंने लिखा- पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है। शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है। 

शिक्षकों की मौत पर अखिलेश यादव ने आवाज उठाते हुए कहा कि उप्र की निष्ठुर भाजपा सरकार मुआवज़ा देने से बचने के लिए अब ये झूठ बोल रही है कि चुनावी ड्यूटी में केवल 3 शिक्षकों की मौत हुई है जबकि शिक्षक संघ का दिया आँकड़ा 1000 से अधिक है। भाजपा सरकार 'महा झूठ का विश्व रिकॉर्ड' बना रही है। परिवारवालों का दुःख ये हृदयहीन भाजपाई क्या जानें। 

साथ ही बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भी पंचायत चुनावों में शिक्षकों की मौत पर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट किया-

 इसी मामले पर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी का बयान आया है। उन्होंने कहा कुछ शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी शिक्षकों की हुई मृत्यु 1621 बता रहें हैं,जो पूर्णतया गलत और निराधार है। इसी भ्रामक सूचना के आधार पर विपक्ष के नेता ओछी राजनीति कर रहें हैं। आगे उन्होंने कहा कि जिलाधिकारियों ने केवल तीन शिक्षकों की मौत की सूचना निर्वाचन आयोग की दी है,उनके साथ हमारी पूरी संवेदना है, उनके आश्रितों को 30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी तथा अन्य देयकों के भुगतान प्राथमिकता के आधार पर होगा।

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