कुलपति के विधि विरूद्ध कारनामों में वयालसी महाविद्यालय के प्रबंध तंत्र का विवाद भी जुड़ गया, आरोपी को दे दी प्रबंधक की मान्यता



जौनपुर । भ्रष्टाचार एवं मनमाने पन के लिए बिख्यात कुलपति पूर्वांचल विश्वविद्यालय का एक और कारनामा प्रकाश में आया है। जी हां जनपद के एक महाविद्यालय के प्रबंधन का मामला न्यायालय में बिचाराधीन होने के बाद भी कुलपति ने अपनी मनमानी करते हुए एक मोटी धनराशि का लाभ उठा कर एक आरोपित व्यक्ति की प्रबंध समिति को मान्यता प्रदान कर दिया है । हलांकि की विपक्षी गण अब मामले को राजभवन तक ले जाने की तैयारी कर लिए है लेकिन कुलपति ने अपनी मनमानी के चलते एक नया विवाद खड़ा कर दिया है।
यहाँ बतादे कि जलालपुर स्थित वयालसी महाविद्यालय में प्रबंधन का विवाद विगत लम्बे समय से चल रहा है। तीन लोगों ने अपना अपना दावा प्रबंधक होने का प्रस्तुत किया है । दावे दारो में  1- विजय प्रताप सिंह 2- ज्ञान बहादुर सिंह  3- भुवनेश्वर सिंह  नाम है। शासनदेश है कि महाविद्यालय में प्रबंधकीय  विवाद होने के बाद नियमों के तहत पर्यवेक्षक की रिपोर्ट एवं निबन्धन कार्यालय में पंजीकृत सूची और लीगल एडवाइज के पश्चात कुलपति को निर्णय लेना चाहिए।
लेकिन यहाँ पर ऐसा नहीं किया गया चूंकि कुलपति का कार्यकाल अब खात्मे की तरफ है और धन की लालच में इनके द्वारा खुली मनमानी की गयी है। न तो निबन्धन कार्यालय की पंजीकृत सूची को मंगाया गया, न ही कोई लीगल राय ही ली गयी बस अपनी मनमानी करते हुए विजय प्रताप सिंह की कमेटी को प्रबन्ध कमेटी की मान्यता दे दिया गया है। ज्ञान बहादुर सिंह और भुवनेश्वर सिंह की कमेटी को बाहर कर दिया गया।
इसमें खबर यह है कि विजय प्रताप  सिंह के उपर कर्मचारियों के वेतन में धांधली बाजी करने एवं शासनदेश के विपरीत वीए बी एससी की कक्षाओं में मनमानी फीस वसूली सहित तमाम आरोप लगे हुए हैं जिसकी जांच भी हुईं और दोषी पाये जा चुके हैं। कुलपति ने ऐसे व्यक्ति को प्रबन्धक बना कर महाविद्यालय को विवादित बना दिया है जिसका कुप्रभाव यहाँ की शैक्षणिक व्यवस्था पर पड़ना तय माना जा रहा है।
यहाँ यह भी बता दे कि इस महाविद्यालय के ट्रस्टीशिप सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने जिले की दीवानी न्यायालय में एक मुकदमा दायर कर रखा है जो आज भी विचाराधीन है ऐसे में कुलपति को प्रबन्धकीय विवाद में कोई निर्णय नहीं देना चाहिए था लेकिन न्याय पालिका की भी अनदेखी करते हुए कुलपति ने अपनी हेकड़ी का परिचय दिया है। सूत्र की माने तो तो अब कुलपति के मनमाने निर्णय के खिलाफ ज्ञान बहादुर सिंह और भुवनेश्वर सिंह दोनों महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश के यहाँ अपील करने जा रहे हैं। विपक्षी  जनो को अब राजभवन से न्याय की अपेक्षा शेष बची है। अब देखना है कि कुलाधिपति एवं राज्यपाल  के स्तर से मामले को गम्भीरता से लेते हुए कुलपति के खिलाफ कोई जांच आदि कारायी जाती है या इन्हें मनमानी करने की छूट पर ही मुहर लगा दी जाती है।

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