आखिरकार आरओ एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा हो गई निरस्त, परीक्षा के बाद से ही नकल होने को लेकर जारी रहा आन्दोलन
लम्बे संघर्ष के बाद आखिरकार समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद मामले में बड़ा निर्णय लेते हुए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा निरस्त कर दिया है। मामले की जांच के लिए आयोग ने कमेटी गठित की थी। साथ ही अभ्यर्थियों से भी साक्ष्य मांगे गए थे। परीक्षा के बाद से ही अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे थे और परीक्षा को निरस्त कर नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग पर अड़े थे।
साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए दो मार्च की तिथि तय की गई थी। माना जा रहा था कि एक सप्ताह के भीतर आयोग कोई निर्णय ले सकता है। छह माह के भीतर दुबारा होगी परीक्षा। इसकी जानकारी सीएम योगी ने ट्वीट कर दी।
आयोग ने अभ्यर्थियों से दो मार्च तक साक्ष्य मांगे थे। जिसकी मियाद शनिवार को पूरी हो गई।। साथ ही आयोग की तीन सदस्यीय आंतरिक कमेटी अलग से मामले की जांच कर रही थी। आयोग ने शासन को एसटीएफ जांच की संस्तुति भी भेजी थी। आयोग की आंतरिक जांच शुरू ही की थी, इसी बीच शासन ने मामले को अपने हाथ में ले लिया और अलग से भी इसकी जांच शुरू करा दी थी।
11 फरवरी को हुई आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा के लिए 1076004 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। आयोग की किसी भी परीक्षा के लिए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आए और परीक्षा में सात लाख परीक्षार्थी शामिल हुए। प्रारंभिक परीक्षा के दौरान ही पेपर लीक विवाद सामने आने के बाद परीक्षा में शामिल ये सात लाख अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वहीं, पिछले तीन वर्षों में अभ्यर्थियों के बीच अपनी छवि तेजी से सुधारने वाले आयोग के सामने अब इसे बनाए रखने की चुनौती है।
प्रदेश की सबसे विश्वसनीय भर्ती संस्था की परीक्षा के दौरान पेपर लीक विवाद सामने आने के बाद शासन को भी इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि वायरल हुए प्रश्नपत्र के वैकल्पिक उत्तरों में भले ही सभी प्रश्नों के उत्तर सही न रहे हों, लेकिन काफी संख्या में उत्तर सही भी मिले हैं। ऐसे में परीक्षा से पहले पेपर वायरल होने के आरोपों को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया जा सकता है।
अभ्यर्थी यह सवाल भी उठा रहे हैं कि जब पेपर वायरल के मामले में पुलिस भर्ती परीक्षा निरस्त किए जाने का निर्णय लेने में देर नहीं हुई तो आरओ/एआरओ परीक्षा पर निर्णय लेने में देर क्यों रही है। जबकि, दोनों ही परीक्षा में पेपर वायरल होने की घटनाएं लगभग एक जैसी हैं। अभ्यर्थी परीक्षा निरस्त कराने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में आयोग के साथ शासन पर भी जांच जल्द पूरी करने का दबाव है। एक हफ्ते परीक्षा पर बड़ा निर्णय लिया जा सकता है।
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