शिक्षक तबादले को लेकर शासन की नयी नीति नहीं मिलेगा मनचाहा विद्यालय


परिषदीय शिक्षकों का जिले के अंदर तबादला व समायोजन करने के लिए पोर्टल डेढ़ माह बाद भी नहीं खुल सका है। अधिकारी लगातार तारीखें बढ़ा रहे हैं। तबादलों में शिक्षकों को मनचाहा विद्यालय भी नहीं मिल सकेगा, बल्कि बड़ी संख्या में शिक्षक कार्यरत विद्यालयों से हटाए जरूर जाएंगे।
विभाग ने करीब छह साल बाद नीति तय की है लेकिन, शिक्षकों की मुराद पूरी नहीं हो रही। इसमें छात्र शिक्षक अनुपात दुरुस्त होगा। बेसिक शिक्षा विभाग परिषदीय अध्यापकों का जिले के अंदर स्थानांतरण (Transfer) व समायोजन आनलाइन करने के लिए 27 जुलाई को आदेश जारी कर चुका है।
प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने आदेश दिया था कि 10 दिन में पोर्टल शुरू किया जाए लेकिन, मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी एमआरसी शिक्षकों का स्कूल की वजह से प्रक्रिया रुकी है।
इससे साफ है कि विभाग विद्यालयों में शिक्षक व छात्र अनुपात सही करना चाहता है, क्योंकि जिन स्कूलों में इन शिक्षकों का आवंटन होगा वहां तबादलों में शिक्षक नहीं भेजे जाएंगे।
ज्ञात हो कि निश्शुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई 2009 के मानक के आधार पर ही शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के तबादले होंगे।
तबादलों में विद्यालय के सरप्लस शिक्षकों को ही विकल्प देने का मौका मिलेगा, ये शिक्षक विभाग की ओर से तय स्कूलों में से 25 का विकल्प दे सकेंगे। अन्य शिक्षकों का न तबादला होगा और न ही आवेदन ही कर सकते हैं।
यानी एक ही जिले में यदि पति व पत्नी शिक्षक के रूप में तैनात हैं और वे दोनों सरप्लस सूची में नहीं है तो तबादला नहीं पा सकेंगे। सरप्लस सूची में होने पर भी तबादला विभाग की ओर से चिन्हित स्कूलों में होगा।
इसी तरह से समायोजन भी शिक्षकों की जरूरत के हिसाब से होगा। शिक्षक इसका भी विरोध कर रहे हैं कि 30 अप्रैल की छात्र संख्या को सरप्लस चिन्हित करने का आधार क्यों बनाया जा रहा, जबकि स्कूलों में बच्चों का प्रवेश 30 सितंबर तक होता है और संयोग से वह तारीख भी करीब आ गई है। शिक्षक विहीन, एकल व ऐसे विद्यालय जहां दो से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं वहां आरटीई के अनुसार पद खाली हैं में प्राथमिकता के आधार पर शिक्षक तैनात किए जाएंगे।

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