आखिर निरीक्षण के खेल के पीछे का रहस्य क्या है जब मेडिकल कॉलेज के निर्माण की गति तेज नहीं हो पा रही है?



जौनपुर। प्रदेश सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के के दौरे के बाद अब प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग उ०प्र० शासन आलोक कुमार द्वारा जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के साथ उमानाथ सिंह स्वाशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकलकॉलेज )
का निरीक्षण किया गया तथा कार्यदाई संस्था के अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्माण कार्य की प्रगति की जानकारी प्राप्त की गयी। साथ ही शख्त आदेश दिया कि किसी भी दशा में द्वितीय वर्ष के छात्राओं के लिए छात्रावास एवं टाइप फोर के आवास के सम्बन्ध में आवश्यक कार्य पूर्ण कर लिए जाये अन्यथा की दशा में कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।


प्रमुख सचिव के द्वारा निर्माण कार्यदायी संस्थाओं व अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्माण कार्य में आने वाली समस्याओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए निणर्य लिया गया कि छोटी-छोटी समस्याओं के कारण निर्माण कार्य में रुकावट नही आने दिया जायेगा।
प्रमुख सचिव के द्वारा एकेडिमिक ब्लॉक, प्रशासनिक भवन, अस्पताल भवन व छात्रावास का विस्तृत निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देशित किया कि कम से कम 150 बेड का अस्पताल चलाये जाने के लिए तैयारी पूर्ण कर ली जाये।
इस दौरान प्रमुख सचिव द्वारा निर्देश दिया गया कि मेडिकल कॉलेज में बायोमेट्रिक वेस्ट को चालू करे,फारसिलिंग और अपूर्ण लैब का कार्य जल्द से जल्द तैयार कर लिया जाए।उन्होंने कहा कि चौथे तल में भी एक लैब तैयार किया जाए।
ओ०पी०डी० के निरीक्षण के दौरान उन्होंने निर्देशित किया कि एम०आर०आई०, सी०टी० स्कैन, टैस्टिंग उपकरण सहित सभी प्रकार की तैयारी पूर्ण कर ली जाए। उन्होंने निर्देशित किया कि द्वितीय वर्ष की काउसिंलिग के पूर्व कक्षाओं व लैब व अन्य आधारभूत सुविधाओं की तैयारी पूर्ण कर ले।  
इस दौरान प्रमुख सचिव द्वारा प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं से मुलाकात करते हुए संवाद भी किया गया। प्रमुख सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिया कि प्रशासनिक ब्लॉक, हॉस्पिटल ब्लॉक का प्रथम तल, हॉस्टल पूर्ण कर लिया जाए और रेजीडेन्सियल एरिया पहुँच मार्ग तक रोड का निर्माण हर हाल में सुनिश्चित किया जाए।
यहां पर एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि
मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने सीएम आयो फिर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य आये और जिला प्रशासन के अधिकारी लगभग रोज मेडिकल कॉलेज पहुंच कर निर्माण कार्य का निरीक्षण करते हे तो कार्य की प्रगति धीमी मिलती है। निर्माण कार्य जल्द पूरा करने निर्देश सभी देते है लेकिन किसी के निर्देश का असर कार्यदाई संस्था पर नहीं पड़ता साफ दिख रहा है इसके बाद भी कार्यदाई संस्था के खिलाफ किसी भी स्तर से संभवत: कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। इसका क्या अनुमान लगाया जाये।सचमुच शासन प्रशासन सरकार मेडिकल कॉलेज के निर्माण को जल्द पूरा कराना चाहती है अथवा कागजी बाजीगरी का खेल करते हुए सस्ती लोकप्रियता ही हासिल करने में जुटी है और कार्यदाई संस्था अपनी मनमानी करने में मस्त है?

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