शिक्षण संस्थान को व्यवसायिक प्रतिष्ठान न बनाया जाये - न्यायाधीश हाई कोर्ट
जौनपुर। पूर्वांचल ही नहीं उप्र के शिक्षण संस्थानों अति अहम स्थान रखने वाले जनपद जौनपुर के शिक्षण संस्थान टीडी पीजी कालेज को प्रबन्ध समिति द्वारा व्यवसायिक प्रतिष्ठान बना कर रख दिया गया था। इसके खिलाफ क्षत्रिय सभा के सदस्य दीपेन्द्र सिंह द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल की गयी याचिका को गम्भीरता से लेते हुए हाई कोर्ट के न्यायधीश ने आदेश दिया कि शिक्षण संस्थान को व्यवसायिक प्रतिष्ठान न बनाया जाये । जौनपुर सहित प्रदेश के सभी जिलाधिकारी आदेश का पालन कराये और प्रबंधन से स्पष्टीकरण लेकर व्यवसाय चलाने वालो के विरुद्ध विधिक कार्यवाही करे।
बतादे कि टीडी पीजी कालेज को प्रबन्ध समिति ने पूरी तरह से व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाते हुए चार मैरेज हाल कालेज परिसर के अन्दर बना दिया है। कालेज के भवन को मैरेज हाल लिए उपयोग कर रहे है। यहा यह भी बता दे कि कृषि विभाग के लिए कालेज की जमीन एवं भवन पर शिक्षण कार्य कराने के बजाय दो मैरेज हाल चलाया जा रहा है। कालेज के मुख्य भवन पर लक्ष्मण सिंह छात्रावास पर तिलक मैरेज हाल बनाया गया है जबकि इसके लिए सरकार से प्रति वर्ष आर्थिक सहायता भी दी जाती है। धन कहाँ जाता है पता नहीं है। राणा प्रताप के नाम से छात्रो के लिए बने व्यायाम शाला मे मैरेज हाल बना दिया गया है।
इसके अलावा कालेज के दक्षिणी छोर जो वाराणसी लखनऊ एन एच पर स्थित है लम्बी दूरी में बड़ी संख्या में दुकानों का निर्माण कराके बेंचा जा रहा है अथवा किराये पर दिया जा रहा है। इस धनराशि से प्रबंध समिति अपना लाभ उठाने की जुगत में है।
इसके अलावा कालेज की कुछ जमीन को बेचने का भी काम प्रबन्ध समिति ने किया है।
प्रबंध समिति के इस कृत्य के खिलाफ क्षत्रिय सभा के सदस्य दीपेन्द्र सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर किया जिसपर न्यायाधीश ने उपरोक्त आदेश पारित करते हुए पूरे प्रदेश के जिलाधिकारीयो को निर्देशित किया है कि वह सुनिश्चित करे कि शिक्षण संस्थान को व्यवसायिक प्रतिष्ठान न बनाया जाये। शिक्षण संस्थान का उपयोग मात्र शिक्षा के लिए किया जाये। साथ ही अपने आदेश में कहा है कि जिलाधिकारी ऐसे शिक्षण संस्थानों को चिन्हित कर प्रबन्ध समिति को नोटिस दे कर स्पष्टीकरण लेकर विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करे। साथ ही जौनपुर के जिलाधिकारी को निर्देशित किया है कि वह सुनिश्चित करे कि टीडी पीजी कालेज व्यवसायिक प्रतिष्ठान न बने। इस आदेश के संदर्भ में जानकारी के बाबत प्रबन्धक से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे बात संभव नहीं हो सकी तो कालेज के प्राचार्य ने फोन ही नहीं उठाया है। जबकि याचिका कर्ता दीपेन्द्र विक्रम सिंह कहते हैं कि टीडी पीजी कालेज के स्थापना में वर्तमान प्रबंध समिति का कोई योगदान नहीं रहा है अब इसे व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनाया जा रहा है जिसके खिलाफ न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है।
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