भाजपा सरकार खेती को कारपोरेट क्षेत्र में विलय करने की तैयारी में है - अखिलेश यादव




समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर खेती को कारपोरेट क्षेत्र में विलय करने में लगे होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार बहुराष्ट्रीय और कारपोरेट घरानों के हितों की पैरोकारी में खेती, गांव, किसान को उनका बंधक बनाने की योजना लागू करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के इरादे विरोधाभासी हैं। जिसमें सिर्फ धोखा ही धोखा है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने में कोई मुकाबला नहीं है। अभी तक 20 लाख करोड़ रुपये की गिनती भी नहीं कर पाए कि एक और किश्त एक लाख करोड़ रुपये की किसानों को भेजने की घोषणा कर सबको चकाचैंध कर दिया है। उन्होंने कटाक्ष किया कि गरीब किसान इतनी भारी रकम कहां रख पाएगा। अखिलेश ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड लांच करने की घोषणा करते हैं पर किसान को यूरिया और बीज तक तो समय से मिल नहीं पा रहा है। सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा सरकार ने वादा किया था कि वह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दो गुना कर देगी।


न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाएगी और किसान का पूरा कर्ज माफ करेगी। लेकिन हकीकत में तो भाजपा ने किसानों के साथ सिर्फ गोलमाल ही किया है। किसानों को राहत देने के बजाय डीजल के दाम बढ़ा दिए। किसान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाकर पूरे देश को बाजार बनाकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को किसानों के उत्पाद औने पौने दाम पर खरीदकर उसके शोषण का रास्ता खोल दिया। उन्होंने कहा कि किसान की हालत दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। भाजपा सरकार की प्राथमिकता में बडे़ उद्योग घरानों का हित साधन है। भाजपा सरकार, किसान को किसान नहीं रहने देने का पूरा इंतजाम करने पर उतारू है। भाजपा की कुदृष्टि खेतों पर है।


अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक आपदा, गन्ने का बढ़ता बकाया, बिचैलियों द्वारा फसलों की लूट और कर्ज से बेहाल हजारों किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं। महोबा में बैंक कर्ज और आर्थिक परेशानियों के चलते बीते रविवार को किसान रमाशंकर रैकवार (50वर्ष) ने फांसी लगाकर जान दे दी। भाजपा सरकार ने इस सम्बंध में अमानवीय रवैया अपना रखा है। सपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तर प्रदेश में किसान पहले अतिवृष्टि, ओलावृष्टि तथा आकाशीय आपदा से बदहाल रहा, इधर बाढ़ ने तबाह कर रखा है।

कई जलमग्न गांवों का सम्पर्क टूट गया है, तटबंध टूट गए हैं। पशुओं को चारा भी नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने उनकी अब तक सुध नहीं ली है। लोगों को राशन, किरोसिन तेल, दूध, दवाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है। किसानों की फसल डूब गई है। भाजपा सरकार ने न तो पहले आपदा के शिकार लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया और न ही अब राहत पहुंचा रही है। अधिकारी पिछली आपदा के आंकलन में ही लगे रहे। मदद सरकारी फाइलों में ही कैद हो गई।

Comments

Popular posts from this blog

*जौनपुर में बन रहे 180 करोड़ की लागत से जिला कारागार का जिलाधिकारी ने किय निरीक्षण।*

*यूपी में फिर प्रशासनिक फेरबदल किया गया है। योगी सरकार ने रविवार की देर रात 127 कनिष्ठ पीसीएस अधिकारियों के तबादले किए है। एक साथ प्रदेशभर में 127 एसडीएम बदले गए हैं।*

जौनपुर : जिला अस्पताल में अत्याधुनिक सीटी स्कैन मशीन की शुरुआत, गरीबों को राहत