तूल पकड़ता जा रहा है शहीद स्थल के उदघाटन का मामला, पहुंचा शासन के दरबार में


जौनपुर। जनपद के विधानसभा बदलापुर क्षेत्र स्थित बलुआ मिरसादपुर में शहीद स्थल के सुन्दरी करण कार्य के उदघाटन एवं गेट के शिलान्यास को लेकर विधायक बदलापुर रमेश चन्द मिश्रा एवं जिलाधिकारी डी के सिंह के बीच टकराव का मामला अब तूल पकड़ने के साथ उच्च स्तर पर पहुंचता नजर आ रहा है। साथ ही अब इस मामले में कानून दांव पेंच का भी खेल शुरू हो गया है। जन प्रतिनिधि और सरकारी मशीनरी के बीच इस जंग में किसकी विजय होगी यह तो शासन में बैठे लोगों के उपर निर्भर करता है। लेकिन इतना तो तय है कि इस जंग का असर जनपद के विकास योजनाओं पर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। 
इस संदर्भ में जेपी सिंह प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश संसदीय शिष्टाचार/पत्राचार अनुभाग द्वारा दिनांक 21अक्टूबर 20 को पत्रांक संख्या 1255 से जारी पत्र के जरिये केन्द्र सरकार से जारी गाइडलाइन 1 सितम्बर 11 का हवाला देते हुए शासनादेश सं.1/2020/जी आई 18/90 सं.शि.प.का./2020/02(सं.शि.)2015 - 13.10.20 से कहा गया है कि सरकार की सहायता राशि से कराये जाने वाले विकास कार्यों  उदघाटन शिलापट पर जन प्रतिनिधि जैसे सांसद, राज्य सभा सदस्य, विधायक, विधान परिषद सदस्य आदि का नाम लिखा जाना चाहिए। साथ ही जन प्रतिनिधि को सम्मान के साथ आमंत्रित किया जाये और उनके बैठने आदि व्यवस्था सम्मान जनक हो। 
पत्र और शासनादेश के क्रम में निर्देश सभी विभागों के प्रमुख सचिव, मण्डलायुक्त और जिलाधिकारीयों को भेजा गया है। ताकि आदेश और शासनादेश का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। शासन से जारी शासनादेश के बावजूद यहाँ पर बदलापुर विधानसभा क्षेत्र के बलुआ मिरसादपुर में शहीद स्थल के सुन्दरी करण कार्य कराने वाली कारदायी संस्था ने बदलापुर विधानसभा के विधायक को आमंत्रित करने के बजाय जिलाधिकारी को खुश करने के लिए उनके नाम का उदघाटन शिलापट बनवा दिया और उद्घाटन कराने की तैयारी में थे। लेकिन इसी बीच इस पूरे घटनाक्रम की खबर विधायक को लगी तो वह शहीद स्थल पर धमक पड़े और खण्ड विकास अधिकारी को कड़ी फटकार लगाया और उद्घाटन रोक दिया। इस घटना की खबर लगते ही जिलाधिकारी शहीद स्थल बलुआ नहीं गये। लेकिन विधायक के प्रति नाराजगी दिखी थी। 
शहीद स्थल के उदघाटन का मामला यहीं पर शान्त नहीं हुआ बल्कि जिले की सुर्खियों में रहने के साथ ही प्रदेश की राजधानी उच्चाधिकारियों एवं सत्ता के शीर्ष पर आसीन सीएम के दरबार तक पहुँच गया है। जिले में हर एक नागरिक इस मामले के परिणाम पर टकटकी लगाये हुए हैं कि प्रशासन और जन प्रतिनिधि की इस जंग में  किसकी जीत होती है। हलांकि शासनादेश जन प्रतिनिधि के पक्ष में जाता है। 

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