हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाया जाए: डॉ ब्रजेश कुमार यदुवंशी


जौनपुर। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सबको आगे आना होगा क्योंकि बिना अपनी भाषा के कोई भी राष्ट्र गूंगा होता है। उक्त विचार प्रख्यात साहित्यकार डॉ ब्रजेश कुमार यदुवंशी ने गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन के बाद व्यक्त किया। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता के लिए हिंदी का राष्ट्रभाषा होना अति आवश्यक है। भारत में लोग भले ही अंग्रेजी बोल नहीं पाते अथवा लिख नहीं पाते हैं बावजूद इसके वे अंग्रेजी का उपयोग करने की कोशिश करते हैं। आज के युग में हम अपनी राष्ट्रीय भाषा को बोलने में शर्म महसूस कर रहे है और हिंदी भाषा के स्थान पर अन्य भाषाओं को महत्व दे रहे है। यह चिंता का विषय है। जब हम हिन्दुस्तान में रहते हुए भी हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे तो क्या अमरीका व अन्य देशों के नागरिक हिंदी का प्रयोग करने के लिए आयेंगे? गांधी प्रतिमा के समक्ष बैठे लोगों के हाथ में तख्तियों पर लिखा था - हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनाया जाए।भारत के संविधान से इंडिया नाम हटाया जाए। दुनियॉं में भारत की पहचान है हिंदी। देश की ऊंची शान करें,हम हिंदी में काम करें। हिंदी हमारी ताकत है, हिंदी हमारी विरासत है।‌ जन-जन को जो मिलाती है, वो भाषा हिंदी कहलाती है। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से भूतपूर्व सूबेदार मेजर शेख जमालुद्दीन, शैलेन्द्र सिंह, आशीष यादव, आदर्श सिंह, निखिल राय,करन यादव, अभिषेक यादव, विपिन यादव ,आयुष यादव,अमन निषाद, रितेश कुमार आदि उपस्थित रहे।

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