आखिर जब साबित हो गया कि भाजपा प्रत्याशी कर रहा है आचार संहिता का उल्लंघन तो कार्यवाही क्यों नहीं


जौनपुर । मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव में सत्ताधारी दल भाजपा चुनाव लड़ सके अथवा नहीं लेकिन उसका हर संभव सहयोग करने का आरोप अब जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी पर लग रहा है। यहां तक कि अब चुनाव लड़ रहे विपक्षी प्रत्याशी भी खुला आरोप लगा रहे हैं कि वर्तमान जिलाधिकारी भाजपा के कार्यकर्ता बन कर उसका सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में यहाँ का उप चुनाव निष्पक्ष रूप से सम्पन्न हो सकेगा इस पर सवाल खड़ा होने लगा है। 
यहाँ बतादे कि कि जिला प्रशासन के द्वारा भाजपा प्रत्याशी के हर गलतियों पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है। इसीलिए तो आयोग की आचार संहिता का उल्लंघन करने के बाद भी कोई विधिक कार्यवाही नहीं की जा रही है। भाजपा प्रत्याशी ने मल्हनी विधानसभा क्षेत्र स्थित नौपेड़वां  बाजार स्थित सरकार से वित्त पोषित विद्यालय यादवेश इन्टर कालेज में भाजपा ने पूरे तामझाम के साथ जिला प्रशासन के सहयोग से केन्द्रीय चुनाव कार्यालय खोला था। मीडिया में खबर आने पर आयोग ने संज्ञान लिया और जांच कराया तो मीडिया की बात सही निकली इसके बाद जिला प्रशासन के अधिकारी ने मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के पीठा सीन अधिकारी को लगा कर 21 अक्टूबर 20 को भाजपा के केन्द्रीय चुनाव कार्यालय में ताला लगा कर बन्द करा दिया गया। 
प्रशासन की इस कार्यवाही से यह तो स्पष्ट हो गया कि यहां पर भाजपा प्रत्याशी द्वारा आचार संहिता का घोर उल्लंघन किया गया था। तभी तो कार्यालय बन्द करा दिया गया लेकिन प्रत्याशी के खिलाफ किसी तरह की विधिक कार्यवाही नहीं किया जाना प्रशासन की मंशा का स्पष्ट संकेत दे रहा है। इससे विपक्षी प्रत्याशीयों द्वारा लगाये गये आरोपों की पुष्टि होती है कि प्रशासन भाजपा की मदत करते हुए उसके कुकृत्यों पर पर्दा डालने का काम कर रहा है। अपरोक्ष रूप से भाजपा को ओवर टेक देने की कोशिश मे लगा हुआ है। 
     वोट खरीदता भाजपा कार्यकर्ता

प्रत्याशी द्वारा मतदाताओं को पैसा बांटने के मामले में जिला प्रशासन ने एक पुरूष के वायरल फोटो पर भाजपा प्रत्याशी को क्लिन चिट दे दिया वहीं भाजपा प्रत्याशी द्वारा महिला को पैसा दिये जाने के मामले में चुप्पी साध ली है। यही नहीं भाजपा का कार्यकर्ता भी वोटों की खरीद फरोख्त में शामिल है। इसका भी फोटो वायरल हो गया है आखिर जिला प्रशासन अथवा आयोग की नजरे क्यों नहीं देख रही है ।
यहाँ पर सवाल यह भी है कि आखिर निष्पक्ष चुनाव में सरकारी व्यधान क्यों किया जा रहा है। लोकतंत्र में जनता को अपने जनप्रतिनिधि के चयन का जब अधिकार है तो सरकारी तंत्र जनता के निर्णय में रोड़ा क्यों बन रहा है। क्या आयोग जौनपुर की मल्हनी विधानसभा के उप चुनाव में प्रशासन की कारगुजारीयों की समीक्षा करते हुए कोई कार्यवाही करेगा अथवा बेईमानी और वोटों के लूट की छूट प्रदान करेगा। 

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