शहीद स्थल के सुन्दरी करण उदघाटन को लेकर विधायक और प्रशासनिक अधिकारी आमने - सामने


  

विपक्ष भी खड़ा कर रहा है सवाल 

जौनपुर।  जनपद में एक उदघाटन को लेकर जिले के बदलापुर विधायक एवं जिलाधिकारी के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। इस घटना से दोनों आमने-सामने हो गये है। किसकी होगी जीत कौन पराजय का मुंह देखेगा यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन आज विधायक और प्रशासनिक अधिकारी के बीच तनी तना की घटना खबरों की सुर्खियों में है। 
मामला यह है कि जनपद के बदलापुर विधानसभा क्षेत्र स्थित ग्राम बलुआ मिरसादपुर में एक शहीद स्तम्भ बना है। वहां पर काफी झार झंखार एवं अव्यवस्थायें थी। इसके सुन्दरी करण के लिए विधायक बदलापुर रमेश चन्द मिश्रा ने 28 जनवरी 20 को खण्ड विकास अधिकारी बदलापुर को पत्र दिया था जैसा की उनके द्वारा जारी किये गये पत्र से स्पष्ट होता है। विधायक के पत्र एवं प्रयासो से शहीद स्थल के सुन्दरी करण का कार्य पूरा हो गया। 
इसके उद्घाटन एवं शहीद स्थल के लिए गेट के शिलान्यास का कार्यक्रम आज 26 दिसम्बर 20 को तय हो गया। उदघाटन के लिए जिलाधिकारी  को बुलाया गया था जैसा कि उनके नाम की शिलापट से स्पष्ट होता है। विधायक बदलापुर  रमेश चन्द मिश्रा को आमंत्रित तक नहीं किया गया था। विधायक श्री मिश्रा क्षेत्र में निकले थे कि उन्हें शहीद स्थल पर जिलाधिकारी के द्वारा शिलान्यास एवं उदघाटन की खबर लगी। इस पर विधायक श्री मिश्रा शहीद स्थल पर पहुंच गये लेकिन डीएम उदघाटन स्थल पर नहीं पहुँचे थे। 
विधायक श्री मिश्रा प्रशासन की इस हरकत पर जबरदस्त नाराजगी दिखाते हुए वीडियो को कड़ी फटकार लगाया और कहा कि इस शहीद स्थल का सुन्दरी करण मेरे प्रयासों से हुआ है मेरी विधानसभा है सो उदघाटन हम करेंगे। दूसरे को कैसे बुला लिया है। 
शहीद स्थल पर विधायक श्री मिश्रा की नाराजगी एवं गुस्से की खबर डीएम को लगी तो वे शहीद स्थल पर जाने से परहेज कर लिया। लेकिन विधायक से नाराज हो गये ऐसी खबर मिली है। इस तरह शहीद स्थल बलुआ मिरसादपुर के मामले को लेकर विधायक और प्रशासनिक अधिकारी के बीच तनी तना की स्थिति स्पष्ट रूप से झलक रही है। दोनों का मामला अब शासन स्तर तक जाने की प्रबल संभावना जतायी जा रही है। कौन जीतेगा कौन पराजित होगा तो शासन जाने लेकिन यह घटना सुर्खियों में आ गयी है। 

हलांकि कि विपक्ष के राजनैतिक पूर्व मंत्री एवं विधायक शैलेन्द्र यादव ललई इस घटना को लेकर चटखारे लेते हुए कहते हैं कि गोडसे की संस्कृति के लोग क्या स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले  देश के शहीदों का सम्मान कर सकते हैं। यह एक यक्ष प्रश्न है। जिस कारदायी संस्था ने सुन्दरी करण का कार्य कराया वह जिससे चाहे उदघाटन कराने का हक रखती है। 

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