कैंसर जनक दोहरे के खिलाफ अभियान, क्या सचमुच दोहरा की विक्री अब बन्द हो सकेगी ?



जौनपुर।जनपद में एक बार फिर कैंसर का जनक एवं मीठे जहर दोहरा के खिलाफ जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा के आदेश पर सरकारी अभियान शुरू कर दिया गया है।सहायक आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा जनपद में छापामारी अभियान चलाया जा रहा है।दोहरा के साथ साथ गुटखा पान मशाला, सोपरी से निर्मित अन्य खाद्य पदार्थो के खिलाफ चल रहे छापामारी अभियान के तहत तीन दिनो तक गहन छानबीन किया जा रहा है। 
यहां बता दे कि विगत चार दशक पूर्व दोहरा नामक मीठे जहर की खोज बसालत पुर स्थित एक राज घराने की महिला ने किया और दोहरे का चलन बोतली पंडित के जरिए शहर में आया और धीरे धीरे कुटीर उद्योग का स्वरूप ले लिया। जनपद के लगभग 90 प्रतिशत युवा वर्ग के लोग इस जहर के आदि हो गये जिसका परिणाम रहा कि इस कारोबार को करने वाले देखते ही देखते करोड़ पति बन गये। दोहरा जान लेवा बन गया था इसकी शिकायत जब प्रशासन के संज्ञान में दो दशक पहले आयी तो नगर मजिस्ट्रेट ने एक आदेश करके दोहरे के निर्माण को रोक दिया लेकिन नगर मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ एक जिला जज ने पैसे लेकर कानून को बेच दिया और आदेश को ऐसा स्थगित किया कि आज तक दोहरा बन्द नहीं हो सका। 
यहां बता दें कि दोहरा के खिलाफ इसके पूर्व के कई जिलाधिकारियों ने पूरे संकल्प के साथ दोहरा बन्द करने के लिए अभियान चलाया यहां तक विधिक कार्यवाई भी किया लेकिन दोहरा आज तक बन्द नहीं कराया जा सका। जब अभियान चलता है को कारोबारियों को खबर हो जाती है वह कुछ समय के लिए सावधान हो जाते है। लेकिन कारोबार पूरी तरह बन्द नहीं हो सका हां यह जरूर हुआ कि जब जब अभियान चला तब तब इसकी कीमत दोगुनी बढ़ती रही 90 के दशक में दस रूपये में मिलने वाला दोहरा आज 50 रूपये में बिक रहा है।
यहां बता दें दोहरा सड़ी सोपारी और पोस्ता को मिलाकर पानी में सड़ा कर बनाया जाता है।इसमें केमिकल और ऐसी सुर्ती का प्रयोग होता है जो जन स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसान दायक होता है। इसका सेवन करने वाले माउथ कैंसर के शिकार होते है देश लगभग सभी कैंसर अस्पतालों में चेक किया जाये तो जनपद जौनपुर के मरीजो की संख्या अधिक एवं जरूर रहती है इसका मुख्य कारण दोहरा है फिर भी युवा पीढ़ी इसके नशे की आदी हो चुकी है। जिसका परिणाम है कि इसके कारोबारी खाद्य एवं रसद विभाग की कृपा पर अपने इस जहरीले व्यापार को आगे बढ़ाते हुए धनोपार्जन कर रहे है। दोहरे के चलते अगर मरने वालो की संख्या पर नजर डाली जाये तो लगभग दो दर्जन से अधिक लोंगो की जाने असमय जा चुकी है। 
यहां बता दे कि एक बार फिर जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने दोहरा से जनपद को मुक्त कराने के लिए संकल्प लेते हुए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को अभियान चला कर दोहरो बन्द कराने का शख्त आदेश दिया और कहा कि विक्रेताओ के खिलाफ विधिक कार्यवाई किया जाये। साथ ही साथ दोहरे के खिलाफ लगातार अभियान चलाने को कहा तो विभाग ने तीन दिन अभियान चलाने का फैसला किया है।
अभियान के प्रथम दिन खाद्य सुरक्षा विभाग ने जारी विज्ञप्ति के जरिए जानकारी दिया है कि अभिहित अधिकारी देवाशीष उपाध्याय के निर्देशन में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी अनिल कुमार राय के नेतृत्व में सचल दल ने छापेमारी अभियान चलाया और महज 06 स्थानो पर छापा मारी किया और तीन कारोबारी के यहां से मात्र 04 किग्रा दोहरा पकड़ सके है। यहां सवाल इस बात का है कि शहर मुख्यालय पर प्रतिदिन कुन्तल के हिसाब से दोहरा बन कर बिक रहा है और विभाग मात्र 04 किग्रा बरामद कर रहा है। सचमुच विभाग दोहरे को बन्द कराने के लिए अभियान चला रहा है अथवा कागजी खेल कर जिलाधिकारी के समक्ष अपनी पीठ थप थपवाने का स्वांग रच रहा है।आखिर गुमटी पान की दुकानो के बजाय बड़ा कारोबारियों के यहां छापामारी क्यों नहीं किया गया। 
खबर तो यह है कि जनपद में दोहरा बन्द न होने का एक सबसे बड़ा कारण है कि जिम्मेदार विभाग इसके कारोबारियों से मोटी धनराशि ऐंठ कर अपनी भी तिजोरी को भरने में मशगूल रहते है।जब जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी का दबाव होता है दो चार दिन अभियान चला कर छोटे और पान दुकान के कारोबारियों को पकड़कर अपनी कारगुजारी पूरी कर लेते है। दूसरी ओर मगरमच्छ कारोबारी का कारोबार चलता रहता है। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि कैंसर का जनक मीठा जहर दोहरे का कारोबार कैसे बन्द हो सकेगा।                     

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