हाईकोर्ट ने जिला जज से मांगा स्पष्टीकरण : हत्या के मामले में हत्यारों को उम्रकैद साजिश कर्ता को पांच साल की सजा क्यो?


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक हत्या के मामले में 
अलीगढ़ के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के उस फैसले पर हैरानी जताई है, जिसमें दो हत्याओं के लिए दोषी आठ लोगों में से सात को तो उम्रकैद की सजा दी गई, लेकिन साजिशकर्ता को सिर्फ पांच साल की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट ने तत्कालीन जिला जज डॉ. बाबू सारंग से फैसले को लेकर हलफनामे पर स्पष्टीकरण तलब किया है। यह खूनी खेल ढाई दशक पहले चुनावी रंजिश में बंटी और कप्तान के बीच शुरू हुआ था।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह संगवान और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने दोषी कप्तान की ओर से सजा के खिलाफ दाखिल अपील पर अपीलार्थी के अधिवक्ता सुनील कुमार उपाध्याय और विपक्षी की ओर से रौनक चतुर्वेदी को सुन कर दिया। मामला अलीगढ़ के खैर थाना क्षेत्र के गांव बिसारा का है। इस गांव के बंटी और कप्तान सिंह के गुट में प्रधानी के चुनाव को लेकर करीब ढाई दशक पहले खूनी रंजिश शुरू हुई थी।
2003 में कप्तान के भाई मनवीर की हत्या हुई। इस मामले में बंटी, उसके पिता जगवीर को उम्रकैद और भाई संजीव आदि को भी सजा सुनाई गई थी। इस घटना में बंटी जेल में था। मुकदमे की पैरवी बंटी का बड़ा भाई वीरेश उर्फ बबलू व चाचा मुन्ना उर्फ हरवीर करते थे। तारीख करके बाइक से लौटते समय उन दोनों की 4 जून 2003 की दोपहर अंडला स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के पास दिनदहाड़े गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गई। इस घटना में संजीव गवाह था।
खैर थाना क्षेत्र में एक दूसरी हत्या के मामले में एडीजे-5 की अदालत ने कप्तान सिंह, रोहताश सिंह, ओमप्रकाश सिंह, राजेंद्र, टीकाराम सिंह, भूरा सिंह उर्फ नेपाल सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कप्तान तभी से जेल में था। इस बीच 2005 में दोहरे हत्याकांड के गवाह संजीव की भी हत्या कर दी गई।
इस मुकदमे में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. बाबू सारंग ने कप्तान समेत कुल आठ लोगों को 18 नवंबर 2022 को सजा सुनाई थी। इसमें सात लोगों को उम्रकैद, जबकि घटना के वक्त जेल में बंद कप्तान को साजिश रचने का दोषी करार देते हुए पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई थी।
सजा के खिलाफ कप्तान ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अरविंद सिंह संगवान और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की अदालत ने पाया कि कुल आठ लोगों में केवल कप्तान को साजिश रचने का दोषी ठहराते हुए उसे पांच साल को कैद की सजा सुनाई गई है।
कोर्ट ने साजिश रचने की धारा 120 बी का उल्लेख करते हुए तत्कालीन जिला जज से व्यक्तिगत हलफनामे पर पूछा है कि सात दोषियों को उम्रकैद तो साजिशकर्ता को सिर्फ पांच साल की सजा 116 आईपीसी के प्राविधानों में कैसे सुनाई? जबकि, उम्रकैद और आजीवन कारावास की सजा से दंडनीय अपराध में साजिशकर्ता को भी मुख्य दोषियों के समान ही सजा सुनाई जाती है।
हाईकोर्ट ने अगली तारीख 19 मार्च नियत करते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को इस आदेश की प्रति अनुपालन के लिए तत्कालीन जिला जज को भेजने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने जिला जज को यह छूट दी है कि वह उच्च न्यायालय के अपील सेक्शन में आकर निचली अदालत की फाइल का मुआयना कर सकते हैं।

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