कानपुर संवासिनी गृह का मामला खड़ा करता है कई अनुत्तरित सवाल, क्या सरकार के पास है इसका कोई जबाब


  
इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस एवं सपा सरकार पर हमलावर तो बसपा की चुप्पी उसे भी खड़ा करतीं है सवालों के कटघरे में 
 प्रदेश के कानपुर स्थित बाल संरक्षण गृह में संवासनियों को गर्भवती होने का मामला अब प्रदेश की सरकार को सवालों के कटघरे में खडा करता है कि आखिर कैसी व्यवस्था है कि सरकार के संरक्षण में रहने वाली बालिकाएं यौन शोषण की शिकार हो गयी है। कानपुर के जिलाधिकारी का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि एक जिले में नहीं कई जनपदों में संवासनियों का दैहिक शोषण किया जा रहा है। यहां पर यह भी सवाल खड़ा हो जाता है कि शोषण किसके सह पर किया जा रहा है। संवासनियां कहीं सफेद पोज लोगों की ऐस गाह तो नहीं बनायी जा रही है अथवा बाल संरक्षण गृह के ही लोग इस अपराध में संलिप्त तो नहीं है  ।इसका खुलासा तो जांचोपरान्त ही संभव है। सरकार जांच कराने में विलम्ब क्यों कर रही है। 
यहां बतादे कि गत दिवस प्रदेश के जनपद कानपुर स्थित बाल संरक्षण गृह में प्रशासन को कोरोना संक्रमण की सूचना पर चिकित्सक टीम द्वारा कोरोना की जांच के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि यहाँ पर रह रही 7 नाबालिग बालिकाएं गर्भवती है एक एच आई बी पाजिटिव है तो एक हेपेटाइटिस बी से संक्रमित है और 57 कोरोना संक्रमित है। गर्भवती होने की खबर वायरल होते ही प्रदेश में हड़कंप मच गया। विपक्षी दल कांग्रेस एवं सपा सरकार पर हमला बोल दिया लेकिन बसपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। 
इस घटना के बाबत जिलाधिकारी कानपुर का बयान आया कि इसमें पांच संवासनियों को बाल संरक्षण गृह में आमद के साथ ही पता चल गया था कि वे गर्भवती है। तो उसी समय इसका खुलासा क्यों नहीं किया गया। विधिक कार्यवाही क्यों नहीं किया गया। ये प्रश्न सरकारी तंत्र को सवालों के कटघरे में खडा करता है। सबसे बड़ी बात कि गर्भवती संवासनियों को अपने यहाँ क्यों लिया गया जब वे पहले से गर्भवती थी। इसकी सूचना उच्चाधिकारियों तक क्यों नहीं पहुंचायी गयी। ये सवाल बताते हैं कि इसमें कोई बड़ा लोचा जरूर है। जिलाधिकारी ब्रम्हदेव राम तिवारी एवं कमिश्नर सुधीर एम बोबड़े कानपुर के बयान यदि सत्य है कि सभी गर्भवती संवासनियां आगरा  ,एटा, कन्नौज,  फिरोजाबाद ,एवं कानपुर बाल कल्याण समिति से आयी है वहीं से गर्भवती रही तो इसका मतलब है प्रदेश के तमाम जनपदों में संवासनियों का दैहिक शोषण हो रहा है और बेटी बचाओ बेटी पढाओ का नारा देने वाली  सरकार इससे बेखबर है। सरकार के सरकारी तंत्र ने इसकी पुष्टि किया है।
हलांकि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी बाड्रा और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर हमला बोल दिया और मामले के जांच की मांग किया है लेकिन सरकार अभी इस गम्भीर मामले पर चुप क्यों है यह तो सरकार ही जाने लेकिन इस घटना ने सरकार को कटघरे में खड़ा जरूर कर दिया है कि बेटियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है। चाहे सरकारी संरक्षण में हो अथवा घरों पर हो। यहां पर एक बात और भी खटक रही है कि बसपा की ओर से इस मुद्दे पर किसी तरह की प्रतिक्रिया का न आना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि कहीं बसपा सरकार के साथ तो नहीं है।     




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