कृषि बिल के खिलाफ खुले हर तरफ मोर्चे,सपा सहित समाज सेवी किसानों के साथ दिखे



जौनपुर : क़ृषि बिल को लेकर दिल्ली की सरहद पर किसान केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। किसान हर हाल में बिल वापस लेने की मांग पर अड़े हैं तो दूसरी ओर केंद्र सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस बीच किसानों के समर्थन में देश के अलग-अलग शहरों में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। एक तरफ समाजवादी पार्टी ने पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर वाराणसी में एक समाजसेवी गंगा की लहरों के बीच खड़े होकर मौन सत्याग्रह किया।
सत्याग्रह शुरू करने से पहले प्रवीण ने बताया कि किसान अपनी फसल के न्यूनतम मूल्य के लिए पिछले 19 दिनों से दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन कर रहा है। इस ठण्ड में बुज़ुर्ग किसान भी अपनी जगह पर अपने हक़ के लिए डटे हैं। सिर्फ इसलिए क्योंकि वो जानते हैं कि उनके मज़बूत प्रधानमंत्री उन्हें उनका हक़ दे सकते हैं। प्रवीण कुमार ने बताया कि हमारी संवेदनाएं हैं। उनके साथ हैं और पूरा देश भी कि‍सानों के समर्थन में है। किसानों के समर्थन में आज हमने एक दिन के मौन व्रत के प्रण लिया है जो गंगा में खड़े होकर प्रधानमंत्री जी के संसदीय क्षेत्र में कर रहा हूँ, ताकि उन तक आवाज़ पहुंचे और वो अपनी मज़बूत ह्रदय से किसानों के हक़ में फैसला लें।
किसान आंदोलन की चिंगारी सिर्फ राजनीतिक दलों में ही नहीं सुलग रही है। छात्र भी अब किसानों के समर्थन में आ गए हैं। बीएचयू में छात्रों के एक दल ने किसान आंदोलन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने सिंहद्वार पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और नए क़ृषि बिल को वापस लेने की मांग की। छात्रों के विरोध को देखते हुए कैम्पस में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
जौनपुर में सपा के लोगों ने जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट स्थित परिसर में प्रदर्शन किया जिसमें सपा के तमाम नेताओं ने भाग लिया ।इसके अलावा सरकारी मशीनरी ने सपा के एक दर्जन से अधिक नेताओं को उनके घरों पर नजर बन्द कर दिया था। फिर भी कार्यकर्ताओं ने जोश दिखाया और किसानों के पक्ष में आन्दोलन किया। इतना ही नहीं सपा के एक दर्जन से अधिक युवा नेताओं को पुलिस ने देर रात्रि तक लाइन बाज़ार थाने में बैठाया था। खबर है कि राजनैतिक बन्दी की जगह मुजरिमो जैसा व्यवहार किया गया था। 

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