उपद्रव की घटना के बाद जांच के दौरान जेल में हैरतअंगेज भ्रष्टाचार की खुल रही पोल, क्या जिम्मेदार गम्भीरता से ले सकेंगे ?


जौनपुर। जिला कारागार में सज़ायाफ्ता कैदी की मौत के बन्दियों के द्वारा किये गये बवाल के पश्चात लगातार चल रही जाचों के दौरान अब जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार और लूटपाट के खेल की परतें एक एक कर खुलने लगी है जो चिन्ताजनक के आश्चर्य जनक भी है कि जेल में यह खेल क्यों और कैसे चल रहा है जबकि लगभग प्रति माह जेल के प्रभारी न्यायिक और प्रशासनिक अधिकारी गण विजिट कर जेल की समस्याओं को दूर करने का दावा करते है। 
यहां बता दें कि विगत 04 जून 21 को थाना रामपुर क्षेत्र स्थित ग्राम बानीडीह निवासी हत्या के अभियुक्त बागीश मिश्रा की मौत के बाद जेल प्रशासन और चिकित्सक जेल को लापरवाहियों को लेकर जेल में निरूद्ध बन्दियों और कैदियों ने लगभग 06 घन्टे तक हाई-प्रोफाइल ड्रामे के साथ उत्पात मचाया जम कर बवाल करते हुए ताण्डव किया यहां तक की जेल में आगजनी की घटना को अंजाम देकर प्रशासन की नीदें उड़ा दिया था। बड़ी मान मनौव्वल के बाद बन्दी शान्त हुए और पूरे घटनाक्रम की जांच अपर जिलाधिकारी द्वय राम प्रकाश एवं राजकुमार द्विवेदी द्वारा प्रतिदिन की जा रही है। 
जांच के दौरान पता चला है कि जेल को अधिकारी कैसे व्यापार का अड्डा बना कर रखे हुए है। यहां बता दें कि शासन से जेल को प्रति बन्दी 40 रूपये भोजन का मिलता है और जेल में निरूद्ध 1350 बन्दियों और कैदियों के लिए बनने वाली दाल में एक किग्रा दाल में पानी डाल कर पका दिया जाता है शेष दाल अधिकारियों घर अथवा बजार में चली जा रही है, यही हाल चावल का है रद्दी क्वालटी का चावल 5 सौ ग्राम की जगह 4 सौ ग्राम ही बनादियों को दिया जाता  रोटी भी जेल मैनुअल से कम दी जाती है। इतना ही नहीं सब्जी में आलू नहीं रहता है। यहां पर आलू सौ रूपये और प्याज डेढ़ सौ रूपये किग्रा बन्दियों को बेचा जाता है कुछ सब्जियां भी बाजार से चार पांच गुना मंहगी बन्दी रक्षक खुद बेचते भोजन खराब बनाने के साथ कालाबाजारी का कारोबार धड़ल्ले से चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं खबर यह भी आयी है कि जेल के बन्दी रक्षक बन्दियों से लोंगो को मिलाने के नाम पर पांच सौ रूपये लेते है। कमीशन लेकर बन्दियों को बाजार से गुटका पान मशाला,शराब गांजा आदि नशे के सामान भी मुहैया कराते है। मोबाइल के जरिए अपराधियों से बाहर बात कराने का शुल्क तीन सौ रूपया प्रति काल बन्दी रक्षक वसूलते है।
खबर है कि इन सभी गलत एवं जेल मैनुअल के खिलाफ होने वाले कार्य में जेल अधीक्षक की पूरी सहमति बन्दी रक्षकों को रहती है क्योंकि भ्रष्टाचार के जरिए की गयी कमाई में जेल अधीक्षक ही नहीं जेलर तक का हिस्सा होता है। एक सूत्र ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया कि यहां के भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी है क्योंकि लूट पाट में साझीदार उपर के अधिकारी और सरकार के मंत्री तक शामिल है। इस तरह यदि कहा जाये कि टाप टू वाटम तक हर स्तर पर जेल को व्यापार बना कर बन्दियों को सुधारने के बजाय लूटने का काम होता तो आजिज आकर बन्दी बगावत करने को मजबूर हो जाते है।
जेल में बन्दियों द्वारा बगावती तेवर दिखाए जाने के बाद जौनपुर जेल प्रशासन ने 150 बन्दियों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के बाद अब बन्दियों को उकसाने वाले बन्दियों को चिन्हित करने की बात करते हुए जेल प्रशासन उन्हे यहां से दूसरी जेलों में भेजने की बात कर रहा है। यहां एक बात जरूर है कि उपद्रवी बन्दियों को तो सजा मिलेगी लेकिन आकंठ भ्रष्टाचार में गोताखोरी कर रहे जेल कर्मियों को भी क्या दन्ड मिल सकेगा? क्या जेल का भ्रष्टाचार खत्म हो सकेगा? जेल में जितने भी बन्दी निरूद्ध है वह सभी न्यायपालिका के बन्दी विधिक रूप से मान्य है ऐसे में क्या न्यायपालिका बन्दियों के शोषण को गम्भीरता से लेकर न्याय कर सकेगी यह एक बड़ा सवाल है। 

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