डायरेक्टर के चुनाव को लेकर सत्तापक्ष और विपक्षी आमने सामने, बैंक का अगला चेयरमैन होगा कौन?


जौनपुर। जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन से लेकर डायरेक्टर तक के चुनाव की प्रक्रिया आज से शुरु हो गयी है। इस बैंक पर कब्जा जमाने के लिए सत्ताधारी दल के अलांवा लगभग 30 साल से बैंक के चेयरमैन पद पर आसीन कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह भी दावेदारी करते हुए चुनावी जंग में है। डायरेक्टर पद के लिए नामांकन दाखिल करने हेतु पर्चा खरीदने को लेकर जिला सहकारी बैंक के पास खासा गहमा गहमी रही, आरोप है कि सत्ता पक्ष के लोग पुलिस के  सहारे एक तरफा कार्यवाही कराने के लिए पूरी ताकत लगाने का प्रयास किया लेकिन विपक्ष ने कड़ा जबाब देते हुए अपने लोंगो का नामांकन करा दिया अब जांच के बाद 06 दिसम्बर 21को मतदान के जरिए डायरेक्टर का चुनाव होगा। 
यहां बता दें कि शासनादेश के अनुसार चुनाव प्रक्रिया पूरी कराने वाले आर ओ / उप जिलाधिकारी ने पर्चा खरीदने और दाखिल करने का समय सुबह 10 बजे से सायं 04 बजे तक तय कर रखा था। इसमें सत्तारूढ दल के लोग जिसमें सभी पदाधिकारी गण मौजूद रहे। पर्चा खरीदने वालों की बड़ी लम्बी लाइन लगी थी। विपक्षी लोंगो का आरोप है कि भाजपा के लोग पुलिस बल के जरिए पूरी कोशिश किये कि विपक्षी लोग पर्चा खरीद न सके। इसके बाद भी विपक्षी लोंगो ने पर्चा की खरीद कर ही लिया। पूरा इलाका पुलिस बल के कब्जे में छावनी नजर आ रहा था। हलांकि इसमें पुलिस की भूमिका संदिग्ध भी नजर आयी। लेकिन बड़ी जद्दो जहद के विपक्षी भी पर्चा खरीद कर डायरेक्टर के चुनाव को निर्विरोध नहीं होने दिया और चुनाव के मैदान में आ गये है। 
बैंक के सचिव के मुताबिक कुल 14 डायरेक्टर पद लिए 25 पर्चे खरीदे गये और सायं 04 बजे के पहले तक 25 लोंगो ने नामांकन पत्र दाखिल भी किया है इसकी जांच 26 नवम्बर 21 को होगी इसके बाद 06 दिसम्बर 21 को मतदान के जरिए डायरेक्टर का चयन होगा तत्पश्चात डायरेक्टर गण बैंक के चेयरमैन का चुनाव करेंगे। खबर मिली है कि सत्ता पक्ष के लोंगो ने 10 डायरेक्टर के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया है जबकि विपक्ष के लोंगो ने सभी 14 सीट के लिए 15 पर्चे दाखिल किये है। 
यहां यह भी बता दें कि विगत लगभग 30 वर्षो से इस बैंक के चेयरमैन पद पर कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह का कब्जा चला आ रहा है। इस संस्था के चेयरमैन पद चुनाव के लिए सभी कील काटों से पूरी तरह से अवगत कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह तमाम संघर्षो को परास्त करते हुए बैंक पर अपना अधिपत्य जमाये रखे है। हलांकि इस बार भाजपा कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह के अधिपत्य को खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है और सरकारी तंत्र का भी सहयोग ले रहे है फिर भी कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह का टक्कर जारी है। अब देखना है कि कुंवर वीरेन्द्र प्रताप सिंह का दबदबा बैंक पर बरकरार रहता है अथवा सरकारी तंत्र के सहयोग से सत्ता पक्ष अपना कब्जा स्थापित करने में सफल हो जाता है। यह तो 06 दिसम्बर को डायरेक्टर चुनाव के बाद ही साफ हो सकेगा।

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