लोकतंत्र के इतिहास में दो दशक बाद पहली बार बसपा चुनावी दंगल से हुई बाहर, जानें क्या है कारण


जौनपुर। जनपद के नौ विधान सभाओ में सातवें चरण के लिए हो रहे चुनाव में अब जनता की रूझान से संकेत मिलने लगे है इस चुनावी दंगल में जिले की लगभग सभी विधान सभाओ में समाजवादी पार्टी बनाम भाजपा  की जंग चल रही है वहीं कुछ एक विधान सभा क्षेत्रो को छोड़कर बसपा पूरी तरह से चुनाव मैदान से बाहर हो गयी है। जिसका परिणाम है कि बसपा के मूल वोटरो के खरीद फरोख्त का सिलसिला भी चल चुका है। हलांकि कि निष्पक्ष चुनाव और मतदान कराने आये प्रेक्षक गण इससे बेखबर के कागजी खाना पूर्ति कर अपनी जिम्मेदारियां निभाते नजर आ रहे है। 
जिले के पूर्वांचल में स्थित केराकत सु विधान सभा यहां से बसपा के प्रत्याशी डाॅ लालबहादुर सिद्धार्थ चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमाने आये है लेकिन इनकी पत्नी अनीता सिद्धार्थ जो इनके खिलाफ बागी हो गयी है और बसपा के मूल वोटरो को भाजपा के प्रत्याशी की तरफ मोड़ने के लिए दिन रात एक कर दी है पत्नी की बगावत डाॅ सिद्धार्थ पर भारी पड़ती नजर आने लगी है यहां पर सपा और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है कांग्रेस की स्थिति जग जाहिर है वह लड़ाई में है ही नहीं।
जौनपुर सदर विधान सभा से बसपा के टिकट पर चुनावी मैदान में सलीम खांन है और यहां सपा प्रत्याशी अरशद खांन पूर्व विधायक और कांग्रेस से पूर्व विधायक नदीम जावेद चुनाव लड़ रहे है तीन मुसलमान होने के चलते सलीम खांन लड़ाई से बाहर नजर आने लगे है हलांकि मुस्लिम वोटो की रूझान सपा और कांग्रेस की ओर नजर आ रही है और यहां पर भाजपा से चुनाव मैदान में आये प्रदेश सरकार के मंत्री गिरीश चन्द यादव का भाग्य उदय होता दिखाई देने लगा है इसका एक फैक्टर यह भी है कि मौर्य समाज के नेता को सपा ने पहले टिकट दिया फिर काट कर अरशद को पकड़ा दिया इससे नाराज मौर्य मतदाता गिरीश चन्द यादव के पाले में चला गया और मजबूती प्रदान कर दिया है। यहां बता दे कि बसपा के बिखरे मूल वोटो पर सपा भाजपा कांग्रेस तीनो की गिद्ध नजर लगी हुई है वोटर भी कीमत वसूलने को वेकरार भी है। यहां बसपा चौथे स्थान पर जा सकती है। 
मड़ियाहूँ विधान सभा का सर्वे के बाद जो रिपोर्ट आयी है उसके अनुसार बसपा का प्रत्याशी अनन्द दूबे चुनाव तो लड़ रहे है लेकिन उनके समाज के ब्राह्मण मतदाता की उपेक्षा उन्हे चुनवी जंग से बाहर धकेल दिया है। हलांकि खबर के अनुसार ये भी तीसरे अथवा चौथे स्थान के लिए अपनी पूरी ताकत लगाये हुए है। यहाँ सपा और अपना दल के बीच सीधी टक्कर चल रही है। कांग्रेस प्रचार ही नहीं कर रही है। 
जफराबाद विधान सभा की समीक्षा से खबर है कि यहां पर बसपा ने जिस संतोष कुमार मिश्रा को अपने प्रत्याशी घोषित कर चुनाव मैदान मे उतारा है पहली बात वह जफराबाद विधानसभा क्षेत्र के निवासी नही है न ही कोई बड़े नेता है। उनके सामने भाजपा से विधायक हरेन्द्र प्रताप सिंह तो सपा सुभासपा गठबंधन से दिग्गज नेता जगदीश नरायन राय है जो एक तरफा चुनाव लड़कर विधान सभा पहुंचने वालो की सूची में नजर आने लगे है। हलांकि बसपा लड़ाई से बाहर दिख रही है। 
अब बात करते है जिले की सबसे संवेदनशील मल्हनी विधान सभा की तो यहां पर बसपा का प्रत्याशी शैलेन्द यादव जदयू प्रत्याशी बाहुबली नेता धनंजय सिंह का चुनाव प्रचार कर रहा है क्योंकि उसको टिकट दिलाने की पूरी स्क्रिप्ट धनंजय सिंह द्वारा लिखी गयी है। यहां भाजपा भी लड़ाई को धार नहीं दे सकी है। तो सीधी जंग सपा प्रत्याशी लकी यादव विधायक और जद यू प्रत्याशी धनंजय सिंह के बीच चल रही है हलांकि  जद यू का अपना कोई जनाधार यहां नहीं है लेकिन प्रत्याशी अपने निज जनाधार की बदौलत लड़ाई को रोचक बना दिया है। यहां पर बसपा को पूरी तरह से शून्य होने के कारण उसके मूल वोटरो पर सभी की नजर टिक गयी है परिणाम आने के बाद साफ होगा कि कौन कितना खरीदने में सफल रहा। 
शाहगंज विधान सभा की भी कमोबेश स्थिति ऐसी ही है यहां पर इन्द्रदेव यादव बसपा के प्रत्याशी जरूर है लेकिन लड़ाई के बाहर इसलिए हो गये है कि उनका समाज अखिलेश यादव को सीएम बनाने के लिए वोटिंग करने जा रहा है। दलित मतदाता यहां भी अपना मोल लगा दिये है। और सपा और भाजपा गठबंधन से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी वोटो की खरीद फरोख्त कर रहे है। हलांकि पैसा खूब बह रहा है। जिम्मेदार बेखबर है। 
इसी तरह बदलापुर विधान सभा सहित मछलीशहर सु और मुंगराबादशाहपुर विधानसभा की भी स्थिति कमोबेश कुछ इसी तरह की हो गयी है।बसपा ने बदलापुर से मनोज सिंह को टिकट दिया जिसका कोई निजी जनाधार नहीं है यहां पर सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच चल रहा है। मुंगराबादशाहपुर विधान सभा से दिनेश शुक्ला चुनाव मैदान मे है लेकिन यहां पर सपा और भाजपा की सीधी टक्कर मानी जा रही है। सपा के पंकज पटेल और भाजपा अजय दूबे दोनो क्षेत्र में खासा असर रखने वाले माने जाते है। जहां तक मछलीशहर सु का सवाल है यहां से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले विजय कुमार की कोई राजनैतिक पहचांन नहीं है यहा पर भी सपा की रागनी सोनकर और भाजपा मेहीलाल के बीच जंग चल रही है। 
इस तरह जनपद की सभी नौ विधान सभाओ में लगभग दो दशक के बाद लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि जनपद जौनपुर के अन्दर बसपा चुनाव दंगल की मुख्य धारा से दूर हो गयी है उसके वोट बैंक की छीना झपटी मची हुई है। इतना ही नहीं बसपा का कोई बड़ा नेता भी अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए जौनपुर की सरजमीं पर आना जरूरी नहीं समझ रहा है। हां प्रत्याशी खुद से जूझ जरूर रहे है। 

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