आइए जानते है स्वामी प्रसाद मौर्य अब कहां से पहुंचेगे विधान सभा के अन्दर


 


लखनऊ। स्वामी प्रसाद मौर्य भले चुनाव हार गए हो, लेकिन समाजवादी पार्टी उनके एहसानों को नही भूली है और उन्हें विधायक बनाकर छोड़ेगी।यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी भले ही बहुमत की रेस से बाहर हो गई है लेकिन वोट प्रतिशत में मिली शानदार बढ़त से उत्साहित है। समाजवादी पार्टी का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले उसके साथ आए स्वामी प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं के कारण ही यह बढ़त मिली है।
स्वामी प्रसाद के इस एहसान को देखते हुए ही समाजवादी पार्टी ने उनका पूरा सम्मान बरकरार रखने की तैयारी कर ली है। स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा भेजने के लिए सपा ने प्लान तैयार कर लिया है।
समाजवादी पार्टी के सूत्रों की मानें तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव करहल विधानसभा सीट से इस्तीफा देकर आजमगढ़ की संसदीय सीट अपने पास रखेंगे। अखिलेश के इस्तीफे के बाद करहल सीट पर होने वाले उपचुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य को उतारा जाएगा। रविवार को अखिलेश और स्वामी प्रसाद मौर्य ने मुलाकात की और इस पर चर्चा भी हुई।
अखिलेश यादव ने करहल सीट 67,000 से अधिक मतों से जीती है। मौर्य ने चुनाव से पहले कैबिनेट मंत्री और भाजपा की सदस्यता छोड़कर सपा में प्रवेश किया था। स्वामी प्रसाद को कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से मैदान में उतारा गया था लेकिन वह चुनाव हार गए थे।
करहल में अखिलेश ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को हराया। यह एकमात्र विधानसभा सीट थी। यह एकमात्र दो सीट थी जहां दो सांसद मैदान में थे। अखिलेश आजमगढ़ से सांसद हैं और बघेल संसद में आगरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। अखिलेश को 1.48 लाख वोट मिले जबकि बघेल को 80,000 वोट मिले।
इससे पहले भी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा था कि अखिलेश यादव करहल छोड़ देंगे। उस समय अटकलें थीं कि पार्टी सोबरन सिंह यादव को मैदान में उतारेगी। सोबरन ने 2002, 2007, 2012 और 2017 में करहल सीट जीती थी। उन्होंने 2022 में अखिलेश के लिए रास्ता बनाया।
स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख गैर-यादव अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेता हैं। वह 2007 से 2022 तक कुशीनगर जिले के अपने पारंपरिक सीट पडरौना से विधायक रहे। उन्होंने 2007 और 2012 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और 2017 में भाजपा के टिकट पर सीट जीती थी। 2012 में बसपा के सत्ता गंवाने से पहले वह मायावती के खास लोगों में गिने जाते थे। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। इस बार सपा में आए और फाजिलनगर से चुनाव लड़ा। भाजपा के पूर्व विधायक गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा ने उन्हें हरा दिया।
फाजिलनगर में अपनी हार के बावजूद मौर्य ने शनिवार को कहा कि वह खुश हैं कि सपा का जनाधार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि वह इसे और बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जिन मुद्दों के कारण मैंने भाजपा छोड़ी थी, वे आज भी प्रासंगिक हैं। मैं उन मुद्दों को लोगों तक नहीं ले जा सका। मुझे खुशी है कि समाजवादी पार्टी का समर्थन बढ़ा है। सपा राज्य में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी है। सपा को एक बड़ी ताकत बनाने के लिए हमारा अभियान जारी रहेगा।

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