त्रिलोचन महादेव मंदिर के पास स्थित कुण्ड के जल की जानें आखिर क्या है कहांनी, बारहो मास जल भरा रहता है

जौनपुर। जनपद मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर जौनपुर वाराणसी मार्ग पर उक्त दोनो जनपदो की लगभग सीमा के पास जौनपुर की परिधि में त्रिलोचन बाजार के पूरब भगवान शिव मंदिर के पास एक रहस्यमयी ऐतिहासिक कुंड है। जिसमें हमेशा जल रहता है। इस कुंड का संपर्क अंदर से सई नदी से बताया जाता है जो करीब नौ किमी दूर है। इस कुंड में कहीं से पानी आने का स्रोत नहीं है बावजूद इसके पानी भरा रहता है। कभी सूखता नहीं है।
भगवान शिव के हर मंदिर की अपनी कुछ न कुछ कहानी होती है, लेकिन बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी से सटे जौनपुर जिले में स्थित त्रिलोचन महादेव की कहानी बड़ी ही रोचक और एतिहासिक भी है। यहां के कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह कि इस कुंड में न तो कभी पानी भरा जाता है और न ही पानी आने का कहीं से कोई रास्ता ही बना हुआ है, बावजूद इसके कुंड में हर मौसम सहित भीषण गर्मी की दोपहरी में भी पानी भरा रहता है। 
जौनपुर शहर से महज 25 किमी की दूरी पर वाराणसी- लखनऊ एन एच 56 के किनारे वाराणसी जौनपुर के बीच स्थित सीमा के पास स्थित यह शिव मंदिर से लोगों की आस्था का केन्द्र है। सदियों से बना हुआ है।यहां के पुजारी मुरली गिरी बताते हैं कि शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां पर शिवलिंग कहीं से लाया नहीं गया, बल्कि स्वयं महादेव सात पाताल को भेदकर यहां विराजमान हुए हैं। स्कंद पुराण में इस शिवलिंग का उल्लेख है। मंदिर रहस्यमयी गाथाओं को समेटे हुए है। मंदिर के बाहर स्थित कुंड का पानी कभी सूखता नहीं है।
पुजारी के अनुसार, मंदिर को लेकर समीपवर्ती दो गांवों रेहटी और डिंगुरपुर में इस बात को लेकर विवाद था कि यह मंदिर किस गांव की में है। कई पंचायतें और तर्क-वितर्क हुए लेकिन तय नहीं हो सका। तब दोनों गांवों के बुज़ुर्गो ने फैसला किया कि यह फैसला स्वयं भगवान भोलेनाथ करेंगे। उन्होंने मंदिर के दरवाजे में ताला जड़ दिया और घर चले गए। ताला दोनों पक्ष की ओर से जड़ा गया था। अगले दिन जब लोग मंदिर पहुंचे तो शिवलिंग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में रेहटी ग्राम की तरफ झुका हुआ था जिसे देख लोग आश्चर्यचकित हो गए। तभी से शिव मंदिर को रेहटी गांव में माना जाता है। यहां शिवलिंग पर पूरा चेहरा, आंख, मुंह, नाक आदि बना हुआ है। आज भी साफ तौर पर देखा जा सकता है। 
त्रिलोचन शिव मंदिर के सामने पूरब दिशा में रहस्यमय ऐतिहासिक कुंड है। जिसमें हमेशा जल रहता है। इस कुंड का संपर्क अंदर से सई नदी से बताया जाता है जो करीब नौ किमी दूर है। इस कुंड में कहीं से पानी आने का स्रोत नहीं है बावजूद इसके पानी भरा रहता है। कभी सूखता नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

जौनपुर संसदीय सीट पर टिकट परिवर्तन की अफवाह पर बसपा के मंडल क्वार्डिनेटर की दो टुक,मतदाता अफवाहो से बचे

लोकसभा चुनावः बसपा का टिकट बदला श्रीकला धनंजय सिंह हटी,श्याम सिंह यादव चुनावी मैदान में,निकलने लगे है राजनैतिक मायने

नौ फर्जी पत्रकार गिरफ्तार पुलिस विभाग के अधिकारी ने पूरे प्रदेश के जिलो में अभियान चलाने का दिया निर्देश