मैं अबला नादान नहीं हूं : नारी शक्ति



मैंने अबला नादान नहीं हूं, मैं कोई दबी हुई पहचान नहीं हूं, 
मैं स्वाभिमान से जीती हूं, रखती अंदर खुद्दारी हूं।
मैं आधुनिक युग की नारी हूं।
 पुरुष प्रधान जगत में मैंने 
सारे कार्य कर दिखलाया है, जो काम मर्द करते आये
उस काम को करके दिखलाया है।
आज मैं स्वर्णिम अतीत सदृश, फिर से पुरुषों पर भारी हूं,
पुरुष प्रधान जैसे देश नाम को, फिर नारी शक्ति ने नारी शक्ति दिखलाया है
मैं आधुनिक नारी हूं, मैं सीमा से हिमालय तक हूं 
और मां गंगा जैसी धारा में नारी नाम को पाया है,
आज नारियों ने भी नारी शक्ति का मान बढ़ाया है,
मैं खेल मैदानों तक हूं, मैं माता बहन और पुत्री हूं।
मैं लेखक और कवियत्री हूं, अपने भुजबल से जीती हूं
किसी से लड़े बिना ही नारी का नाम दिखाया है,
नारी ही शक्ति है, नारी ही भक्ति है
हर शुभ अवसरों में नारी शक्ति ही आती है,
और हर भक्ति रूपों में नारी का ही नाम पाया है
 मैं आधुनिक युग की नारी हूं। मैं शक्ति रूप अवतारी हूं।


वंशिका त्रिपाठी 
गंगा ऋषिकुलम स्कूल 
फाफामऊ शांतिपुरम

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