संकट काल के असली योद्धा जौनपुर के डीएम मनीष कुमार वर्मा, कैंसर पीड़ित पिता कोरोना संक्रमित हुए, फिर भी कर्तव्य पथ से पीछे नहीं हटे




कोरोना संक्रमण का असर अब भले ही कम पड़ने लगा है। ऑक्सीजन-बेड के लिए अब मारामारी नहीं है। मौत का आंकड़ा थम गया है। एक्टिव केस अब खत्म होने के कगार पर हैं। रिकवरी रेट 99 फीसदी तक पहुंच गया है। इससे ठीक एक माह पहले हालात इतने विकट थे कि उसका कोई पुरसाहाल नहीं था। हर व्यक्ति डरा-सहमा था। महामारी कब-किसे अपना ग्रास बना लेगी, इसकी चिंता सबके चेहरे पर थी। इस विपरीत हालात में कुछ ऐसे भी कर्मयोगी रहे, जो अपनों की चिंता छोड़कर पूरी शिद्दत से कर्तव्य पथ पर डटे रहे। उनके प्रयासों से आज हालात काबू में हैं।
जनपद जौनपुर में इसके एक मात्र उदाहरण है जिले के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा हैं। कैंसर से पीड़ित अपने पिता और मासूम बच्चों से दूरी बनाते हुए उन्होंने कोविड काल में शिद्दत के साथ अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाया है। इतना ही नहीं कि सिर्फ दूसरी लहर को नियंत्रित किया, बल्कि तीसरी लहर से निपटने के लिए भी स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने की तैयारियों में जुटे हुए है। श्री वर्मा बततें है कि कोरोना के बढ़ते प्रभाव के दौरान परिवार को सुरक्षित रखने के लिए दूरी बनाना जरूरी हो गया था। उस दौरान पिता की तबीयत खराब होने पर कुछ दबाव आया जरूर लेकिन धैर्य के साथ कर्तव्य पथ पर चलता रहा। आम जन की सेवा से सकून मिला है।
दूसरी लहर से पहले जौनपुर जिले में बेड और ऑक्सीजन की उपलब्धता सीमित थी। मंडल में जौनपुर वह जिला था, जहां पंचायत चुनाव सबसे पहले थे। ठीक इसी वक्त कोरोना का हमला हो गया मरीज भी तेजी से बढ़े। दोहरी चुनौतियों से जूझते डीएम दिन-रात भाग - दौड़ करते रहे। इस बीच कैंसर से पीड़ित पिता भी संक्रमित हो गए थे। दिन भर गांव-गांव घूमना, संभावित मरीजों के बीच जाना और फिर घर आकर परिवार की देखभाल करना चुनौतीपूर्ण कार्य हो गया था।
डीएम मनीष कुमार वर्मा से इस संदर्भ में चर्चा पर बताया कि चुनाव के बाद के 15-20 दिन काफी मुश्किल भरे थे। 100 सौ बेड का एक अस्पताल चल रहा था, जिसमें अधिकांश बेड भर चुके थे। चंदौली से आने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई भी नियमित नहीं थी। दिन-रात लोगों के फोन मदद के लिए आते रहते थे।


डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों सहित अधिकारी एवं कर्मचारी ने इस आपदा काल में अपना पूरा योगदान दिया।
इतना ही नहीं आमजन का भी भरपूर सहयोग मिला, जिससे काफी राहत मिली। प्रधानमंत्री के टेस्ट, ट्रैक और ट्रीट के मंत्र पर काम करते हुए गांवों में निगरानी, सैंपलिंग, दवा का वितरण कराया गया। इसके बेहतर परिणाम मिले। तीसरी लहर के लिए भी हम काफी हद तक तैयारी कर चुके हैं। पीआईसीयू, एनआईसीयू वार्ड तैयार हो रहा है। जिला अस्पताल समेत प्रमुख सीएचसी पर ऑक्सीजन प्लांट लग रहे हैं। संसाधनों की अब कमी नहीं होगी। तीसरी लहर में बीमारी पर कंट्रोल करने में काफी राहत रह सकती है।

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