12 अगस्त 1942 को अंग्रेजी हुकूमत की क्रुरता को बयां करता है कलेक्ट्रेट परिसर का क्रान्ति स्तम्भ




शहीदो की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले। 
वतन पर मरने वालों का बाकी यही निशा होगा।।

जौनपुर। आजादी की जंग के इतिहास में जनपद जौनपुर के अन्दर 12 अगस्त 1942 घटित घटना और अंग्रेजी शासन की क्रुरता की कहानी को कलेक्ट्रेट परिसर में बना क्रान्ति स्तम्भ ताजा कर देती है ।साथ शहीद आजादी के दीवानों की वीर गाथा को अमर होने की दास्तान बता देती है। जनपद की सरजमी पर स्थित कलेक्ट्रेट परिसर में दोपहर के समय लगभग दो बजे के आसपास आजादी के दीवाने क्रान्तिकारियों की टोलियों ने कलेक्ट्रेट को घेर कर अग्रेजी हुकूमत का झन्डा युनियन जैक उतार कर फाड़ दिया और अंग्रेजी पुलिस से टकरा गया। अंग्रेज पुलिस पर जम कर पथराव किया जिसमें अंग्रेज अधिकारी इमग्रेन घायल हो गया। इसके बाद अंग्रेजी पुलिस ने अपने अधिकारी के आदेश पर क्रान्तिकारी आन्दोलनकारियों पर गोली चलाई जिसमें लगभग एक दर्जन से अधिक आन्दोलन कारी छात्र घायल हो गये। तत्पश्चात अंग्रेजी पुलिस ने आन्दोलनकारीयों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया था। अंग्रेजी हुकूमत में जौनपुर मुख्यालय पर घटित इस को याद करने के लिए बने स्तम्भ पर आज भी शहीद क्रान्तिकारीयों को श्रद्धांजलि दी जाती है। 
यहां बता दें कि आजादी की जंग के समय 1942 में आन्दोलन कारीयों के अंग्रेजों भारत छोड़ो के आह्वान पर जनपद जौनपुर में छात्रों ने आजादी की जंग में कूदने का संकल्प लेते हुए छात्रों ने बैठक कर अंग्रेज हुकूमत से लड़ने के लिए दो टोलियां बनाये जिसमें लगभग दो सौ छात्रों का नेतृत्व क्रान्तिकारी दिवाकर सिंह ने सम्भाला और 150 छात्रों की अगुवाई का दायित्व हरिहर सिंह कर रहे थे। सभी छात्रों ने एक राय होकर लगभग दो बजे दिन में कलेक्ट्रेट पर धावा बोल दिये और वहां पर लगे अंग्रेजी झन्डे युनियन जैक को उतार कर फाड़ते हुए भारत माता जिन्दाबाद के जयकारे लगाने लगे। इस घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची अंग्रेजी पुलिस और आन्दोलन कारी छात्रों के बीच में झन्डे को लेकर छीना झपटी शुरू हो गयी पुलिस ने जब लाठी चार्ज किया तो आन्दोलन कारीयों ने जम कर पथराव शुरू कर दिया अंग्रेज अधिकारी को घायल होते ही उसने गोलियां चलाने का हुक्म दे दिया ।
आदेश मिलते ही अंग्रेजी पुलिस फायरिंग शुरू कर दिया जिसमें क्रान्तिकारी दल का नेतृत्व कर रहे दिवाकर सिंह, केदार नाथ सिंह, सूबेदार मिश्रा, मोहम्मद उमर, हरिहर सिंह सहित लगभग दो दर्जन आन्दोलन कारी छात्र घायल हो गये और गिरफ्तार कर लिये गये। इस घटना के बाद 25 दिसम्बर 1944 को आन्दोलन कारी छात्र जेल से रिहा हुए ।जेल से छूटने के बाद अंग्रेज हुकूमत ने आन्दोलन कारीयों का नेतृत्व कर रहे दिवाकर सिंह को जनपद से निष्कासित कर दिया था। अंग्रेजों की गुलाम से देश को आजाद होने के पश्चात जनपद में कलेक्ट्रेट परिसर स्थित विकास भवन के पास शहीदो की याद में क्रान्ति स्तम्भ बनाया गया जहां पर प्रति वर्ष समाजिक संगठनो से लेकर प्रबुद्ध जनों एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही शहीदो को याद किया जाता है और श्रद्धासुमन अर्पित किया जाता है। 

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