सात साल की सजा से दंडित पूर्व सांसद धनंजय सिंह की होली बीतेगी सलाखों के पीछे,सवाल याचिका पर सुनवाई होगी कब?


सवालः धनंजय सिंह को जेल जानें से लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी पर क्या कोई असर हो सकेगा ?

जौनपुर। जनपद की सियासत के जरिए माननीय बनने का सपना संजोने वाले बाहुबली नेता और पूर्व सांसद धनंजय सिंह दीवानी न्यायालय की एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश शरद चन्द त्रिपाठी द्वारा नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मांगने के आरोप में जेल की सजा काट रहे है। हाईकोर्ट में याचिका दायर कर होली के पहले बाहर आने का काफी प्रयास किये लेकिन उनके सभी प्रयास असफल रहे है अब तो एक बार फिर बाहुबली नेता की होली सलाखों के पीछे बीतने जा रही है। 
यहां बता दें कि 10 मई 20 को नामामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने जिला मुख्यालय स्थित थाना लाइन बाजार में अपने अपहरण और रंगदारी मांगने का मुकदमा धनंजय सिंह और उनके साथी संतोष विक्रम सिंह के खिलाफ दर्ज कराया था। पुलिस ने अभियोग पत्र न्यायालय प्रेषित किया इसके बाद धनंजय सिंह और उनके साथी लगातार प्रयासरत रहते हुए केस के सभी गवाहो को पक्षद्रोही (होस्टाइल) करा दिया और अभिनव सिंघल ने अपना मुकदमा वापस लेने के लिए कोर्ट में मय हलफनामा के साथ प्रार्थना पत्र दे दिया था। हलांकि प्रार्थना पत्र पर न्यायाधीश द्वारा कोई आदेश नहीं था।  इधर धनंजय सिंह और उनके साथी मुतमईन थे कि अब इस केस में कुछ नहीं होगा। 
इधर धनंजय सिंह 18 वीं लोकसभा के चुनाव में भाजपा के खिलाफ मजबूती के साथ ताल ठोंके हुए थे। भाजपा ने दो मार्च को जौनपुर के पुराने और दिग्गज भाजपाई नेताओ को दरकिनार करते हुए कांग्रेस से भाजपाई बने महाराष्ट्र की राजनीति करने वाले नेता कृपाशंकर सिंह को टिकट थमा दिया। इसके बाद अचानक 05 मार्च 24 को अभिनव सिंघल के केस की तारीख थी बजरिए अधिवक्ता धनंजय सिंह कोर्ट में बुलाए गये और न्यायिक अभिरक्षा में ले लिए गये तथा अभिनव सिंघल के मामले में दोषी करार दे दिए गए थे। इसके बाद 06 मार्च 24 को कोर्ट ने सभी धाराओ 364, 386, 504 एवं 120 बी में न्यायाधीश ने सात साल की सजा के साथ आर्थिक दण्ड भी लगाते हुए धनंजय सिंह और उनके साथी को जेल की सलाखों में कैद कर दिया। 
न्यायालय से सजा पाने के पश्चात धनंजय सिंह जेल जानें के बाद देश के बड़े अधिवक्ताओ से मसौदा तैयार करते हुए हाईकोर्ट के एमपी-एमएलए कोर्ट में अपने रिहाई और लोअर कोर्ट के आदेश को स्थगित करने के प्रेयर के साथ याचिका दायर किया। याचिका पर पहली तिथि सुनवाई के लिए 20 मार्च मुकर्रर हुई इस दिन अधिक मुकदमे का हवाला देते हुए न्यायधीश ने इनके याचिका पर सुनवाई नहीं किया। इसके बाद फिर प्रयास हुआ की होली के पहले सुनवाई सुनिश्चित हो सके लेकिन मामला टल गया अब होली के बाद ही सुनवाई की संभावनाए लगाई जा रही है।
इस तरह अब तो यह तय हो गया है कि धनंजय सिंह पूर्व सांसद की होली जेल की सलाखों के पीछे कैदियों के बीच ही मनेगी।  यहां एक बात और भी साफ कर दे कि जिले की सियासी हलको में चर्चा है कि धनंजय सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ने से रोकने के लिए इस सजा के पीछे बड़ा राजनैतिक खेल है और अगर यह सच तो माना जा सकता है कि धनंजय सिंह चुनाव बीतने के बाद ही जेल के बाहर निकल सकेंगे। यहां एक सवाल और भी है कि अगर धनंजय सिंह चुनाव नहीं लड़ सकेंगे तो उनके समर्थक लोकसभा के चुनाव में कौन सा गुल खिलायेंगे। धनंजय सिंह का अपनो को क्या संदेश होगा। इन्ही सब सवालो को जबाव जनपद की आवाम अब ढूंढ रही है। क्या धनंजय को जेल जानें का असर भाजपा प्रत्याशी के चुनाव पर नजर आयेगा ?

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