एक वृद्ध मां रेल की पटरी पर आत्महत्या करने हेतु क्यों लेटी थी, जानें दर्द मां की भरी दास्तान


जाको राखे साइयां मार सके न कोय, बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होय....वर्षों से चला आ रहा यह दोहा एक बार फिर से वाराणसी में चरितार्थ हो गया। पारिवारिक प्रताड़ना से परेशान एक वृद्धा जान देने के लिए रेल पटरी के बीच लेट गई और उसके ऊपर से ट्रेन गुजर गई। संयोग से उसे एक खरोंच तक नहीं आई। ट्रेन गुजरने के बाद जब लोगों ने वृद्धा को जिंदा देखा तो सभी हैरान रह गए।
आननफानन उसे  उठाया और पुलिस चौकी लेकर आए। घटना आशापुर रेलवे क्रॉसिंग के पास की है। वृद्धा ने बताया कि वो बहू और बेटे से काफी परेशान है। रविवार सुबह बेटे ने दुर्व्यवहार किया जिसके बाद उसने जान देने का मन बना लिया। लेकिन मौत भी मेरे नसीब में नहीं है। मैं पटरी पर लेटी लेकिन ट्रेन बिना कुछ किए ही निकल गई।  वो बार-बार यही कह रही थी कि मुझे जाने दीजिए और ट्रेन से कट जाने दीजिए। परिवार की परेशानी को बताते हुए वृद्धा रोने लगी, जिसे देखकर मौके पर मौजूद लोग भी भावुक हो गए। 
टांडा खुर्द चौबेपुर निवासिनी इंद्रावती देवी (75) पारिवारिक प्रताड़ना से परेशान होकर खुदकुशी करने के लिए आशापुर रेलवे क्रॉसिंग के पास पहुंची। सुबह करीब साढ़े नौ बजे सारनाथ रेलवे स्टेशन से सिटी स्टेशन की तरफ जा रही डीएमयू को देखकर वह रेलवे पटरी पर लेट गई। यह देख मौके पर मौजूद धर्मेंद्र पांडेय और संदीप ने दौड़ लगाई लेकिन तब तक ट्रेन आ गई थी। 
इंद्रावती देवी के ऊपर से ट्रेन दनदनाती हुई निकल गई लेकिन उन्हें एक खरोंच तक नहीं लगी। इंद्रावती को जिंदा देख मौक पर मौजूद लोग हैरान रह गए और भगवान को शुक्रिया कहा। धर्मेंद्र और संदीप समेत अन्य लोगों ने वृद्धा को सहारा देकर उठाया और पुलिस चौकी पर लेकर आए। चौकी प्रभारी अखिलेश वर्मा ने घटना की सूचना इंद्रावती के परिजनों को दी। इंद्रावती देवी ने बताया कि मैं अपने बहू और बेटे से काफी परेशान हो चुकी हूं। आए दिन बहू मुझे प्रताड़ित करती है। रविवार सुबह जब मैं पूजा करने जा रही थी तो बहू के कुछ कहने पर बेटे ने मेरा गला दबा दिया और नीचे धकेल दिया। रोज-रोज की प्रताड़ना से तंग आकर आज यह कह कर घर से निकल गई कि अब मैं अपना चेहरा तुम लोगों को कभी नहीं दिखाउंगी। ऑटो लेकर आशापुर आ गई और आत्महत्या करने के लिए रेलवे ट्रैक पर लेट गई। 
चौकी इंचार्ज और रेलवे ट्रैक से उठाकर लाने वाले युवकों से इंद्रावती ने कहा- 'हमें ना पता रहल बाबू कि गर्दनीया पटरीया पे रखेके होला। हमें जाय दा कट जाये दा। हमार अदमी 30 साल पहीले मर गईलन।' चौकी इंचार्ज से गुहार लगाई अब हमें यहीं कहीं वृद्धा आश्रम में रखवा दो। इंद्रावती देवी का बड़ा बेटा पप्पू ओला कंपनी में कार चालक है। वहीं छोटा बेटा डिम्पू मुंबई में परिवार लेकर ऑटो चलाने का काम करता है। एक बेटी रेनू की शादी भी कर चुकी हैं। वृद्धा ने बताया कि बेटी रेनू अक्सर मेरे लिए दवाइयां, तेल, कपड़ा भिजवाती रहती है। बड़े बेटे की  पत्नी पर आरोप लगाया कि आए दिन वो मुझे प्रताड़ित करती रहती है। आशापुर चौकी प्रभारी अखिलेश वर्मा ने वृद्धा के परिजनों को बुलाये जाने की बात कहा है। 

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