देवरिया कांड के बाद सीएम द्वारा राजस्व विभाग के लिए जारी आदेश का पालन हो नहीं रहा क्यों?जानें क्या है असली कारण


जौनपुर। देवरिया कांड के बाद प्रदेश सरकार के मुखिया खासा शख्त रूख अपनाते हुए प्रदेश भर के राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को शख्त निर्देश जारी कर दिया कि जमीनी विवाद को गम्भीरता से लेते हुए पैमाइश आदि को तत्काल इमानदारी के साथ करे। अब सवाल इस बात का है कि सीएम के इस आदेश का अनुपालन तहसील के जिम्मेदार अधिकारियों और लेखपाल द्वारा किया जा रहा है। अगर कहा जाए कि सीएम के आदेश का कोई असर राजस्व विभाग में तहसील के जिम्मेदार अधिकारी और लेखपाल आदि पर नहीं है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।
जनपद जौनपुर के तहसील सदर की बात करे तो यहां पर लेखपालो द्वारा कास्तकारो के सरकार अभिलेख में छेड़-छाड़ करके धनोपार्जन का बड़ा खेल किया जाता है।जमीनो की पैमाइश के लिए खुलेआम 10 से 20 हजार रुपए तक की वसूली की जा रही है रिपोर्ट आदि लगाने के नाम पांच हजार रुपए तक की वसूली होती है। तहसील के सभी अधिकारी चाहे उप जिलाधिकारी हो अथवा तहसीलदार सभी को पता है लेकिन किसी भी स्तर पर इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई कवायद नहीं होती है। खबर है कि लेखपालो के लूट के माल में अधिकारी का भी हिस्सा बनने का बात सामने आयी है जिसके कारण लूट की छूट लेखपालो को मिली हुई है।
मुख्यमंत्री का हुक्म है कि इमानदारी से अभिलेख के अनुरूप पैमाइश होनी चाहिए, केसे होगी यह एक बड़ा और अनुत्तरित सवाल है कि जब लेखपाल धनोपार्जन करेगा तो जिससे पैसा लिया है उसकी वाली करना उसकी मजबूरी है और आपस में विवाद बढ़ेगा और रक्त बहेगे। यहां पर बता दें कि एक गांव का मुख्य मार्ग 20 कड़ी का सरकारी अभिलेख में दर्ज है मौके पर सड़क पिच होने के पश्चात सड़क की चौड़ाई मौके पर 40 कड़ी है लेखपाल पैसा लेकर दो चक के खातेदारो में विवाद खड़ा कर दिया। लेकिन यह नही किया कि सड़क में गयी जमीन को चक से मुक्त करने की रिपोर्ट लगाए। यहां भी देवरिया जैसे कान्ड की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकते है।
तहसील सदर की बात करें तो यहां एक ऐसा नायब तहसीलदार है जो दलालो के जरिए खुले आम न्याय को बेचने का करता है। दलाल के अलावा आऊटसाइडर उसके लिए दलाली करते हुए गलत फैसला करवाने का खेल करते है। इसे संभवतः सभी जिम्मेदार अधिकारी जानते भी है लेकिन उस पर कोई नियंत्रण करने की जरूरत नहीं कर रहा है। बता दे इस नायब तहसीलदार के फैसले से गांव के अन्दर आपसी विवाद और रंजिश जबरदस्त पनप रही है क्योंकि गलता फैसला से जमीन हड़पने वालो अथवा भू माफियाओ के हौसले बढ़ रहे है।
इतना ही तहसील स्तर से बनने वाले प्रमाण पत्र बगैर घूस दिए नहीं बनते है क्या जिले के वरिष्ठ हुक्मरानो को इसकी खबर नहीं है। आखिर आम जनमानस तहसीलो में शोषण की शिकार क्यों हो रही है जिम्मेदार अधिकारी बेखबर क्यों है इसके पीछे के कारण का सहज अनुमान लगाया जा सकता है। जो भी हो मुख्यमंत्री चाहे जितना शख्त आदेश करे लेकिन तहसील स्तर के सभी जिम्मेदार अधिकारी सहित लेखपालो के उपर उसका कोई असर दृष्टिगोचर नहीं है। ऐसे कहा जाये कि प्रदेश के अन्दर हर पल देवरिया जैसे कान्ड की प्रबल संभावनाओ से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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