जिला जेल बना भ्रष्टाचार का अड्डा, पैसा फेको सब कुछ मिलेगा


आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे हैं जेल के अधिकारी

        जौनपुर । जिला कारागार में कारागार के नियमों को स्थापित करने के लिए जनपद के  जिला स्तरीय  अधिकारियों चाहे न्याय पालिका हो अथवा कार्य पालिका  या फिर पुलिस के शीर्ष अधिकारी द्वारा प्रति माह जेल का निरीक्षण कर  सब कुछ आल इज वेल  कहा जाता है लेकिन सच इसके ठीक विपरीत है । जिला कारागार के अधिकारी से लगायत बन्दी रक्षक आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे है जिसे खत्म करना  हाथी को पैजामा पहनाने के बराबर कहा जाए तो अतिश्योक्ति  नहीं होगा ।
अभी चन्द दिवस पहले  पुलिस विभाग के फर्जी कार्य प्रणाली के  चलते  जेल यात्रा कर बाहर निकले  एक पत्रकार नरेन्द्र गिरी ने  जेल के भ्रष्टाचार का जो  खुलासा किया वह  अत्यंत ही चौकाने वाला रहा है । पूरा जेल महकमा आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहा है ।
इस जेल यात्री के अनुसार जौनपुर जेल में  बन्दी रक्षकों द्वारा  प्रति दिन  बिचाराधीन बन्दीयो से  मिलने आने वाले से 30 रूपये प्रति हेड की वसूली की जा रही है । बन्दीयो  को जेल में सुविधा देने के नाम पर 4 से 5 हजार रुपये की वसूली किया जाता है । सजाआफ्ता कैदी इसके शिकार हो रहें है । यहां जेल के अन्दर बन्दी रक्षकों द्वारा बन्दीयो से 2 से  5 सौ रुपये घूस लेकर  बन्दीयो को जेल में अलग से सब्जी अन्डा आदि  बनाने की छूट दे रखी है । मजेदार बात यह है कि ऐसे बन्दी मानक से अधिक रोटियाँ लेते हैं और रोटी को ही ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते है । शौचालय के पास जहां सीसी टीवी कैमरे की नजर नहीं पहुंचती है वही पर सारे खेल किए जाते है । बन्दी रक्षकों की ही कृपा से  50 रूपये खर्च कर बन्दी मोबाइल से वार्ता भी शौचालय के पास करते है । खबर के मुताबिक यहां पर अपराधियों द्वारा जेल के अन्दर से जिले में कई बड़ी आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिलाया गया है  ऐसा पुलिस कई बार अपने बयान में कह चुकी है ।
जेल में बन्दी रक्षकों की कृपा से आज भी गांजा शराब गुटका बीड़ी आदि तमाम नसे के सामान मुल्य से चार गुना अधिक मुल्य पर उपलब्ध हो रहे है । इस जेल यात्री की माने तो  हर नशा जेल में पैसा खर्च करने पर मिल सकता है । जो बन्दी पैसा खर्च करता है वह तो यहाँ की सुविधाओ का पूरा लाभ उठाता है जो पैसा खर्च करने की क्षमता नहीं रखता है उससे कमर तोड़ श्रम करवाया जाता है । जबकि जेल मैनुअल में है कि बिचाराधीन बन्दीयो कोई काम न लिया जाये । इसका अनुपालन कत्थई नहीं किया जाता है ।
इस जेल यात्री ने जेल के अन्दर मिलने वाले खाने की चर्चा करते हुए बताया कि  जेल के अन्दर दाल में पानी के बीच दाल का दाना नहीं नजर आता है । सब्जी जो सबसे सड़ी होती है  बन्दीयो को परोसा जा रहा है । रोटी इतनी पतली की बन्दीयो का  पेट ही नहीं भरता है रोटी के साथ चावल नहीं दिया जाता है ।
इसके अलावा सबसे गंभीर समस्या यहाँ पर यह है कि जेल की क्षमता से  चार गुना अधिक बन्दी जेल की बैरकों में ठूंस कर भरे गये है । जिसका परिणाम यह है कि बन्दी रात्रि को सोते समय करवट नहीं बदल सकता है ।
जेल के अन्दर अपनी पीड़ा कहने वाले बन्दी को जेलर एवं बन्दी रक्षकों की लाठी का सामना करना पड़ता है । जब भी प्रशासनिक एवं पुलिस अथवा न्याय पालिका के शीर्ष अधिकारी जेल का निरीक्षण करने जाते हैं तो बन्दी जेलर एवं बन्दी रक्षकों की मार के डर से शिकायत करने का साहस नहीं करते है ।
इसीलिये अधिकारी सब कुछ आल इज वेल करके चले जाते हैं और सच से  रूबरू नहीं होते हैं । अब सवाल यह उठता है कि क्या जेल से भ्रष्टाचार खत्म किया जा सकेगा । जेल में जेल मैनुअल का पालन हो सकेगा  या जेल के जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्टाचार में गोते लगाते रहेंगे ।

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