टिड्डी दल के प्रकोप से निपटने की तैयारी शुरू, निरन्तर निगरानी की जरूरत पर बल



 जौनपुर । मुख्य विकास अधिकारी अनुपम शुक्ला ने टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा उक्त राज्यों के सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के आगरा और झांसी मंडल के कुछ क्षेत्रों में टिड्डी दल का न्यून प्रकोप देखा गया है, इसलिए जनपद में टिड्डी दल के आक्रमण की संभावना के दृष्टिगत इसके निरंतर निगरानी की आवश्यकता है, ताकि टिड्डी दल के आक्रमण की दशा में त्वरित नियंत्रण किया जा सके। ऐसी स्थिति में इलाज से पूर्व बचाव बेहतर है की अवधारणा के दृष्टिगत सुझाव दिया है। टिड्डी हरे रंग का दो-ढाई इंच लम्बा किट होता है। टिड्डी दल के आक्रमण की स्थिति में करोडों की संख्या में यह किट मात्र की ही घण्टों में फसलों एवं समस्त वनस्पतियों को खाकर चट्ट कर जाते है। उन्होंने कहां है कि टिड्डी दल के आक्रमण की सूचना समस्त ग्राम प्रधान, संबंधित विभागों के क्षेत्र के अधिकारियों के माध्यम से जिला प्रशासन तक तत्काल पहुंचाई जाए। टिड्डी दल किसी कृषि क्षेत्र में सायं 6ः00 से 8ः00 बजे के आसपास पहुंचकर जमीन पर बैठ जाते हैं वहीं पर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं और फिर प्रातकाल 08ः00 से 10ः00 बजे के बीच उड़ान भरते हैं। टिड्डी दल के प्रकोप की दशा में एक साथ इकट्ठा होकर टिड्डी को डिब्बे, तालियों, ढोल, नगाड़े आदि ध्वनि विस्तारक यंत्रों को बजाते हुए शोर मचाए। शोर सुनकर टिड्डी दल आसपास के खेतों पर आक्रमण नहीं करेंगे। खेतों में आग लगाकर, ट्रैक्टर का साइलेंसर निकालकर तेज ध्वनि की जा सकती है। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से टिड्डी दल को हटाने या भगाने के लिए भोर का समय सबसे उपयुक्त होता है। चूकि बलुई मिट्टी टिड्डियों के प्रजनन एवं अंडे देने हेतु सर्वाधिक अनुकूल होती है। इसलिए जनपद के किसानों को सलाह दिया है टिड्डी दल की संभावना को देखते हुए ऐसी मिट्टी वाली खातों में जुताई करवा दे एवं जल का भराव करा दे। उक्त उपाय से टिड्डी तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है। टिड्डी दल प्रायः दिन डूबने के समय किसी न किसी पेड़-पौधे पर दिन निकलने तक आश्रय लेती हैं। अतः गहन सर्वेक्षण द्वारा आश्रय के  स्थानों को चिन्हित किये जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। टिड्डी दल के न्यून/मध्यम प्रकोप की दशा में किसान एक साथ मिलकर के दिन डूबने के पश्चात रसायन क्लोरपाइरीफॉस 20 प्रतिषत ईसी 1000 मिलीलीटर, क्लोरपाइरीफॉस 50 प्रतिषत ईसी 480 मिलीलीटर या लैम्बडासाईहेलोथ्रिन 05 प्रतिशत ईसी 640 मिली हेक्टेयर प्रति हेक्टेयर की दर से तेज धार से छिड़काव करें। टिड्डी दल के नियंत्रण हेतु मैलाथियान 96 प्रतिषत यूएलवी का छिड़काव अत्यन्त प्रभावी हेाता है। परन्तु इस रसायन की जनसामान्य का उपलब्धता न होने के कारण कृशक स्तर से इसका छिड़काव नही किया जा सकता है। यह रसायन टिडडी नियंत्रण से सम्बन्धित सरकारी तंत्र को ही उपलब्ध हो सकता हैं। इसलिए टिड्डी दल के आक्रमण की दषा में लोकस्ट कन्ट्रोल आर्गनाइजेषन, फरीदाबाद को पीपीक्यूएसडाट जीओवी डाट इन पर एंव क्षेत्रीय केन्द्रीय नाषीजीवी प्रबन्धन केन्द्र, लखनऊ को फोन न0 0522-2732063 एवं ईमेल पचउनच12/दपब पर सूचित करें ताकि प्रशिक्षित व्यक्तियों एवं समुचित यंत्रों के माध्यम से प्रभावशाली नियंत्रण कराए जा सके। टिडडी दल के आक्रमण की दशा में जिला मुख्यालय के कन्ट्रोल रूम फोन नं. 05452-260501 या 05452-260666 या मोबाइल नं. 8528197186 पर सूचित करें।
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