जिला प्रशासन के आदेश का पालन करने में कर्जदार बनने को मजबूर हैं प्रवासी मजदूर



जौनपुर। कोरोना संक्रमण को लेकर जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी के एक आदेश से विदेश से आने वाले प्रवासी श्रमिकों  सहित सामान्य जनो को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है लोग कर्जदार बनने को मजबूर हो गये है। प्रशासन के दन्डात्मक कार्यवाही से बचने के लिए बड़ी संख्या में  विदेशो से आने वाले मजदूर टाइप के लोग कर्ज लेकर सरकारी आदेश का पालन कर भी रहे हैं जो जिले में चर्चा का बिषय बना हुआ है ।
यहाँ बतादे कि शासन के अपर मुख्य सचिव ने  25 मई 2020 को पत्र सं. 1205/2020 सी एक्स गृह गोपन अनुभाग से आदेश जारी किया है कि विदेशों से आने वाले प्रवासी लोगों को अपने घरों को जाने के बजाय 07 दिनों तक संस्थागत क्वारंटाइन अपने खर्चे से रहेंगे और बाद में 07 दिनों तक आइशोलेसन अपने घरों में स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में करेंगे। शासन के इस आदेश का पालन कराने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारी ने 07 दिनों के क्वारंटाइन की व्यवस्था जिले के दो होटलों होटल वरून एवं होटल रघुवंशी में किया है जहाँ पर प्रतिदिन 15 से 17 सौ रूपये का खर्च आ रहा है शासनदेश के अनुसार इस खर्च को मजबूरी में प्रवासी मजदूर को भरना पड़ रहा है। जबकि शासन ने होटल की बात नहीं किया है। 
इसके बाबत विदेश से आये कई प्रवासी मजदूरों ने बताया कि यहाँ भारत से दुबई, कुवैत, इरान आदि देशों में रोटी रोजी के लिये जाने वाले अधिकांश कम पढ़े लिखे लोग होते हैं वहां पर जाकर ऊंट, बकरियां, भेड़ चराने अथवा श्रमिक  का काम करते हुए अपने परिवार का पेट भरने का प्रयास करते हैं। कोरोना संक्रमण के चलते विगत तीन माह से आर्थिक संकट से जूझ रहे थे किसी तरह कर्ज आदि लेकर टिकट की व्यवस्था कर अपन देश जिला घर लौटे तो यहाँ पर प्रशासन ने ऐसा फरमान जारी कर दिया है कि उसका पालन करने में परिवार को संकट मे डालना पड़ रहा है। यहां भी कर्ज के बोझ तले दबना मजबूरी बन गया है। 
खबर है कि जिला प्रशासन के अधिकारी के दबाव में नोडल अधिकारी द्वारा लगातार ऐसे मजदूरों को नोटिस जारी किया जा रहा है। जिसमें मुकदमा लिखाने की धमकी भी दी जा रही है। सूत्र की माने तो प्रशासन के इस आदेश का तामिला अब तक मजबूरी में लगभग 28 से 30 श्रमिक होटलों में कर रहे हैं। होटल मालिक सरकारी गाइड लाइन पर किराया लेने के बजाय अपने अनुसार वसूली कर रहे हैं। हलांकि की यहाँ पर रहने वाले मजदूरों ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर जानकारी दिया कि यहाँ पर किसी तरह के उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है बस केवल आर्थिक शोषण का खेल चल रहा है। 
इसके बाबत नोडल अधिकारी पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी से बात करने पर उन्होंने बताया कि हां जिलाधिकारी का आदेश है कि जो प्रवासी मजदूर नोटिस पाने के पश्चात आदेश का पालन नहीं करेंगा उसके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया जा सकता है। यहां पर एक तकनीकी बात है कि विदेशों से आने वाले श्रमिक हवाई जहाज से उतरने के बाद सम्बंधित स्थानों से जब तक अभिलेख जिला प्रशासन के पास पहुंचता है तब तक श्रमिक अपने घरों को पहुंच जाते हैं और दो चार दिन घर पर ही रहते हैं फिर सरकारी डन्डा पुलिस द्वारा चलाये जाने पर शोषित होने के लिए मजबूर हो जाते हैं। जिला प्रशासन को अपने आदेश में बदलाव लाने की आवश्यकता है होटलों की जगह कोई ऐसा संस्थागत संस्थान जैसे स्कूल आदि में क्वारंटाइन की व्यवस्था हो जहाँ पर मेस चले जिसका खर्च प्रवासी मजदूरों से लिया जाये इससे प्रवासी कर्जे के बोझ से बच सकते है।     

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