राष्ट्र के उत्थान में हमारा योगदान ही है राष्ट्र धर्म : कुलपति प्रो निर्मला एस मौर्य

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी में ही राष्ट्रधर्म होता है परिलक्षित  : डॉ. नीरज शुक्ला 


जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर में आजादी की 75वीं वर्षगाँठ पर आयोजित अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत राष्ट्रधर्म एवं राष्ट्रवाद विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस.मौर्य ने कहा कि आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजों के नमक कानून के विरुद्ध दांडी यात्रा प्रारंभ की थी। हम आजादी का 75 वां वर्ष मना रहे हैं जिसमें राष्ट्र को मजबूत करने हेतु हम विविध कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय हिंदी लिटरेरी फेस्ट कार्यक्रम के तहत विविध रंगोलियों, पोस्टर एवं पूर्वांचल साहित्य महोत्सव के माध्यम से महिला शक्ति कार्यक्रम के तहत महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु महिला सुरक्षा को लेकर कई सेमिनार, वर्कशॉप ,वेबिनार का आयोजन किया गया। इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं का सम्मान, जल संरक्षण को लेकर कार्यक्रम लगातार हो रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने एक राज्य को दूसरे राज्य को गोद लेने का आह्वान किया है। इससे राष्ट्रीय एकता की भावना बढ़ेगी। इस अवसर पर कुलपति ने महान शहीदो रानी लक्ष्मीबाई, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, खुदीराम बोस सरदार पटेल, मातंगिनी हजरा ,कमलादेवी चट्टोपाध्याय, अरूणा आसफ अली को याद करते हुए यह अपील की कि हमें उन वीर सपूतों के प्रति भी नम्रता का भाव रखना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए जो कहीं गुमनामी में खो गए हैं। उन्होंने कहा कि हम सब जिन जिन दायित्वों से बंधे हैं, उन दायित्वों का निर्वहन करते हुए राष्ट्र के उत्थान में जो योगदान देते हैं वही हमारा राष्ट्र धर्म है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के डॉ. नीरज शुक्ला ने कहा कि राज्य और राष्ट्र में अंतर होता है। राज्य वह है जिसकी एक सीमा होती है और उस सीमा के भीतर वह अपनी संप्रभुता का प्रयोग करते हुए नागरिकों एवं प्रजाजनों के ऊपर शासन करता है, जबकि राष्ट्र वह होता है जिसके नागरिक उस भू-भाग विशेष को अपनी मां के समान पवित्र और वंदनीय मानते हैं ,उसकी पूजा करते हैं और अपने इतिहास के प्रति गौरव का बोध रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्रवाद "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" के रूप में परिलक्षित होता है। प्रोफेसर अविनाश पाथर्डीकर ने कहा कि भारत की संस्कृति त्याग की संस्कृति रही है। देहरादून विश्वविद्यालय केे प्रबंध संकाय के डीन व छात्र अधिष्ठाता कल्याण प्रो. एचसी पुरोहित ने कहा कि जिस तरीके से 1930 में नमक कानून के विरोध में गांधी जी के आह्वान पर पूरा देश एकजुट होकर अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलित हुआ उसी प्रकार इस कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर पूरा देश एकजुट हुआ संकल्प बंद हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप हम कोरोना जैसी महामारी से लड़ सके।

इसके पूर्व स्वामी सहजानंद महाविद्यालय गाजीपुर के डॉ प्रमोद श्रीवास्तव आनंद ने विषय का प्रवर्तन किया। संचालन विधि विभाग के डॉ. अनुराग मिश्र ने किया। कार्यक्रम में प्रोफेसर मानस पांडेय, डॉ मनोज मिश्र, डॉ दिग्विजय सिंह, डॉ. आलोक कुमार सिंह, डॉ. विजय प्रताप तिवारी, प्रदीप मिश्र, डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ. झांसी मिश्रा, डॉ प्रियंका सिंह, डॉ. आलोक दास, प्रमोद कुमार यादव, डॉ मनोज शुक्ला, नितिन चौहान, प्रशांत शुक्ला, दुर्गेश बहादुर सिंह ,राजकुमार सहित दर्जनों शिक्षक शोध छात्र व बुद्धिजीवी इस वैचारिक गोष्ठी से जुड़े रहे।


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