आखिर रेलवे बोर्ड जौनपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर पांच की उपेक्षा क्यों कर रहा ? जानें पूरा मामला


जौनपुर। जनपद के जौनपुर प्लेटफार्म संख्या पांच को बढ़ाने की योजना विभागीय पचड़े में फंस गई है। प्लेटफार्म की लंबाई कम होने की वजह से एक्सप्रेस ट्रेनों के कई डिब्बे बाहर रहते हैं। इससे यात्रियों को ट्रेन में सवार होने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सबसे अधिक परेशानी महिलाओं व बुजुर्गों को होती है। तमाम यात्रियों ने इसकी शिकायत पूर्व भाजपा सांसद केपी से भी की थी। इसके बाद इंजीनियरिग विभाग की टीम ने प्लेटफार्म को 150 मीटर बढ़ाने की योजना तैयार कर मुख्यालय को भेज दिया। निर्माण पर 46 लाख रुपये का बजट भी तैयार कर लिया गया, लेकिन अभीतक इसे बढ़ाने की स्वीकृति नहीं मिली।
पूर्वोत्तर रेलवे की अधिकतर गाड़ियां इसी प्लेटफार्म पर आती हैं। इसमे सुहेलदेव एक्सप्रेस, गाजीपुर-बांद्रा एक्प्रेस, गाजीपुर से वैष्णोदेवी को जाने वाली प्रमुख ट्रेनें शामिल हैं। ट्रेन पकड़ने की आपाधापी में कई बार यात्री गिर भी जाते हैं। ऊबड़-खाबड़ प्लेटफार्म के बीच महिलाओं व बुजुर्गों को प्लेटफार्म से बाहर खड़ी बोगी तक पहुंचने के लिए भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ट्रेनों का स्टापेज बेहद कम होने की वजह से बुजुर्ग कई बार ट्रेन में सवार भी नहीं हो पाते। स्टेशन के निरीक्षण में पूर्व में पहुंचे उत्तर रेलवे के तत्कालीन डीआरएम सतीश कुमार ने भी प्लेटफार्म को बढ़वाने का भरोसा दिया, लेकिन आजतक इसपर कोई कार्य नहीं हो सका। सामान्य दिनों में जौनपुर जंक्शन से रोजाना तकरीबन ढाई से तीन हजार यात्री सफर करते हैं, जबकि, 25 से अधिक ट्रेनों का आवागमन होता है। पूर्व में प्लेटफार्म पैंसेंजर ट्रेनों के हिसाब से बनाया गया था, लेकिन ट्रेनों के बढ़ रहे दबाव के बीच सुविधाएं बढ़ाने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मामला लखनऊ से जुड़ा होने की वजह से स्थानीय अधिकारी इसपर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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