पति पत्नी की लड़ाई में तीसरे ने मार ली बाजी, जानते है स्वाती सिंह का टिकट कटने की पूर कहानी


लंबे इंतजार के बाद लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट की तस्वीर साफ हो गई है। भाजपा ने इस सीट से ED के ज्वाइंट डायरेक्टर रहे राजराजेश्वर सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस सीट की प्रबल दावेदार मौजूदा विधायक और योगी सरकार की मंत्री स्वाति सिंह थी। पार्टी ने इनका टिकट काट दिया है। मंत्री स्वाति सिंह की दावेदारी और टिकट कटने की पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है।
यह कहानी आपको फिल्मी लग सकती है। इस कहानी में एक ऐसे पति-पत्नी हैं जो हकीकत में एक दूसरे के जानी-दुश्मन भी हैं। कैसे पति-पत्नी ने एक दूसरे का टिकट कटवाने के चक्कर में अपना गंवा दिया...आपको विस्तार से बताते हैं।
सरोजनीनगर सीट पर मंत्री स्वाति सिंह के साथ ही पति दयाशंकर सिंह भी दावेदारी कर रहे थे। दोनों ने इस विधानसभा में अपने-अपने बैनर पोस्टर भी लगवा दिया था। लोगों से मिलने भी लगे थे। जब टिकट पर दिल्ली में फैसला शुरू हुआ तो दयाशंकर दिल्ली पहुंच गए। खबर आई कि पार्टी के कई बड़े नेता दयाशंकर की टिकट की पैरवी कर रहे हैं। इससे परेशान स्वाति भी दिल्ली पहुंच गई।
दोनों ने एक-दूसरे की हकीकत पार्टी आलाकमान तक पहुंचा दी। कहा गया कि 2017 में स्वाति सिंह का विधायक बनना एक्सिडेंटल था। दयाशंकर की जगह पार्टी ने स्वाति को टिकट दिया था। स्वाति विधायक बनीं और सरकार में मंत्री भी, लेकिन मंत्री बनने के बाद तेवर बदल गए और शिकायतें दिल्ली तक पहुंच गई। पति ने पत्नी की बुराई की और पत्नी ने पति की। इन दोनों की लड़ाई का फायदा राजराजेश्वर सिंह को मिला।
साल 2016 में जब यूपी में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही थी, तभी बसपा मुखिया मायावती को लेकर दिए गए एक अभद्र बयान से राजनीति में बवाल खड़ा हो गया। यह बयान दिया था भाजपा नेता दयाशंकर सिंह ने। दयाशंकर तब चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। मायावती के ऊपर अभद्र टिप्पणी के बाद बसपा ने दयाशंकर के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया और भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया।
इसी बवाल के बीच 20 जुलाई 2016 को एक चेहरा अचानक से उभरा था। वह चेहरा था दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह का। एक घटना ने राजनीति में लंबे समय से संघर्ष कर रहे दयाशंकर को नेपथ्य में डाल दिया, जबकि उनका परिवार संभाल रही पत्नी स्वाति सिंह अचानक सुर्खियों में आ गईं।
दरअसल, दयाशंकर पर कार्रवाई की मांग को लेकर बसपा ने एक बड़ा प्रदर्शन लखनऊ के हजरतगंज चौराहे पर किया। इस दौरान बसपा के बड़े नेता नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने जो नारा लगाया उससे पूरा मामला ही बदल गया। दयाशंकर सिंह की पत्नी और बेटी को लेकर लगाए गये बीएसपी के नारों ने इस मामले में आरोपी रहे दयाशंकर सिंह के परिवार को ही पीड़ित बना दिया।
अचानक से सहानुभूति दयाशंकर सिंह के परिवार के साथ हो गई। भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को मैदान में उतार दिया। स्वाति अपनी बेटी को लेकर मीडिया के कैमरों के सामने आई और पूछा कि गलती अगर दयाशंकर सिंह ने की है तो फिर सजा उनको और बेटी को क्यों?

पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा की जिम्मेदारी दी। 2017 में हुए विधानसभा में सरोजनी नगर सीट से टिकट दिया और जीत के बाद सरकार मे राज्यमंत्री का इनाम दिया गया। इस घटना ने पत्नी स्वाति को नेता बना दिया, तो पति दयाशंकर का संघर्ष और बढ़ गया। पहले से ही खराब रिश्ते और भी बदतर हो गए। मंत्री बनने के बाद स्वाति का कद और बढ़ गया जबकि दयाशंकर सिंह नेपथ्य में चले गए।

स्वाति सिंह के मंत्री बनने से पहले ही दोनों के रिश्ते खराब थे। दयाशंकर के एक करीबी बताते हैं कि साल 2008 में स्वाति ने पति दयाशंकर के खिलाफ मारपीट की FIR भी दर्ज कराई थी। हालांकि, दोनों ने कभी इस झगड़े को सार्वजनिक मंच पर सामने नहीं आने दिया।


इससे पहले स्वाति सिंह पर भाभी के साथ मारपीट करने, बिना तलाक लिए भाई की दूसरी शादी कराने और भाभी को घर से निकालने का आरोप लगा था। स्वाति के खिलाफ मुकदमा उनके अपने सगे भाई की पत्नी आशा सिंह ने दर्ज कराया था। ये मामला करीब 11 साल पुराना है।

एक बड़े विवाद के बाद भाजपा में एंट्री , सरोजनी नगर सीट से टिकट और चुनाव जीतने के साथ ही मंत्री पद। ये सब महज कुछ महीनों में ही हुआ। योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद ही स्वाति सिंह विवादों में आ गई थी।


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