आखिर शिक्षा के मन्दिर में दलित बच्चो पर शिक्षक द्वारा जाति सूचक शब्द के साथ अपमानित करने का रहस्य क्या है?




जौनपुर। जनपद जौनपुर के तहसील केराकत क्षेत्र स्थित विकास खण्ड डोभी के प्राथमिक ज्ञान दायिनी पूर्व माध्यमिक विद्यालय कसली के शिक्षक द्वारा दलित समाज के बच्चो को जाति सूचक शब्दो का प्रयोग करते हुए गाली आदि दिये जाने के आरोप का वीडियो वायरल है। दलित बच्चो के प्रति शिक्षक की अपमान जनक टिप्पणी के खिलाफ दलित समाज के लोंगो द्वारा प्राथमिक विद्यालय पर प्रदर्शन करते हुए शिक्षक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की गई है। हलांकि विद्यालय पर तनाव पूर्ण स्थिति को देखते हुए सीओ केराकत एवं पुलिस बल मौके पर पहुंच कर जांचो परान्त विधिक कार्यवाई का आश्वासन देते हुए प्रदर्शन को खत्म करा दिया है लेकिन शिक्षक द्वारा दलित बच्चो को लेकर की गयी टिप्पणी का वायरल वीडियो बेसिक शिक्षा अधिकारी संज्ञान में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किया जाना क्षेत्र में चर्चा का बिषय बना है।

ज्ञान दायिनी पूर्व माध्यमिक विद्यालय कसली में शिक्षा ग्रहण करने वाली दलित परिवार की बच्चियों ने अपने बयान में स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि इस विद्यालय के शिक्षक सभाजीत द्वारा उनको चमार चमाइन शब्द का प्रयोग करते हुए अपमानित किया जाता है। छात्राओ का आरोप यह भी है कि जाति सूचक शब्दो के साथ उनके लिए रंडी मुन्डी शब्द का प्रयोग शिक्षक उपरोक्त द्वारा किया जाता है। बच्चियों ने अपने बयान में साफ कहा है कि शिक्षक कहते है चमारो की औकात क्या है। चमरौटी के रहने वाले तुम लोग नहीं सुधरोगे, गांव की लड़कियां किधर से आती है। फिर चोरी छिनारा की बाते करते हुए न जाने कैसी कैसी बात कर जाते है। फिर कहते है न तुम लोग सुधरे न तुम्हारी जाति सुधरेगी। आरोप यह भी है कि मारूंगा तो हगते मूतते घर जाओगे।

विद्यालय की इस तरह की घटना के खिलाफ दलित समाज की महिलाये पुरूष विद्यालय पर प्रदर्शन करने अचानक धमक पड़े तो खलबली मच गयी आनन फानन में पुलिस बल के साथ सीओ और थानाध्यक्ष डोभी मौके पर पहुंच गये। प्रदर्शन कर रही दलित महिलायें विद्यालय की प्रधानाध्यापिका कुसुम तिवारी पर भी आरोप लगाया कि जब उनसे शिकायत की गयी तो उन्होने कहा भाग रंडी कहीं की, हमारी जाति की इज्जत नहीं है क्या, फिर मांग किया छिनरी बुजरी करने वाले मस्टर को हटाया जाए। 
वायरल वीडियो में प्रधानाध्यापिका कुसुम तिवारी ने दलितो के बच्चो के आरोप को गलत बताते हुए कहा है कि अगर ऐसी बात है तो सभाजीत से पूंछा जायेगा। 
पुलिस के अधिकारी ने दलित समाज की प्रदर्शन करने वाली महिलाओ और पुरूषो को समझाते हुए कहा कि अगर शिक्षक ने जाति सूचक शब्दो का प्रयोग करते हुए गली देकर बच्चो को अपमानित किया है तो शिकायती पत्र दे जांच कर विधिक कार्यवाई की जायेगी।

इसके बाद प्रदर्शन खत्म तो हो गया। लेकिन वीडियो इतना वायरल हुआ कि बेसिक शिक्षा विभाग के खण्ड शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों तक पहुंच गया इसके बाद भी इस मामले को किसी भी स्तर पर गम्भीरता से नहीं लिया गया। इतना ही नहीं दलित बच्चे अपने अपमान का दर्द बयां किये लेकिन प्रशासन के भी अधिकारी बेखबर है जांच तक कराना जरूरी नहीं समझा गया है।


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