अशोका इंस्टीट्यूट पहुंचे अमेरिका के प्रोफेसर नंदलाल सिंह, कहा-इंजीनियरिंग प्रबंधन का महारथी बनिए


 वाराणसी। अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट में अमेरिका के डलास स्थित साउथर्न मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नंदलाल सिंह ने कहा कि इंजीनियरिंग प्रबंधन ऐसा क्षेत्र है जो स्टूडेंट्स में कौशल, ज्ञान और तकनीक का महारथी बनाता है। साथ ही वह किसी सभ्यता की सफलता को इंजीनियरिंग के साथ जोड़कर उसकी परियोजनाओं को सामने लाता है। यह इंजीनियरिंग के अनुशासन के लिए प्रबंधकीय अभ्यास के अनुप्रयोग को देखता है। बेहतरीन प्रबंधन से ही इंजीनियरिंग की अवधारणाओं को विस्तार दिया जा सकता है।

प्रो.नंदलाल सिंह अशोका इंस्टीट्यूट के सेमिनार हाल में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड इंफार्मेशन सिस्टम विषय पर बिजनेस स्कूल और इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आर्किमिडीज़ को अभी भी उनके कई शास्त्रीय आविष्कारों के लिए जाना जाता है। रोमन समुदाय ने इन्हें ही अपनी सफलता का श्रेय दिया है। बाद में,  दा विंची की अवधारणाएं विकसित हुई। फजलुर रहमान खान ने गगनचुंबी इमारतों की कल्पना की, जिन्होंने हमारे शहरों को आकार दिया है।  इंजीनियरिंग के महान कार्यों के लिए महान संगठन की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग प्रबंधन करियर का एक ऐसा मार्ग है जो व्यवसाय और इंजीनियरिंग दोनों क्षेत्रों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र इंजीनियरिंग की तकनीकी और समस्या को सुलझाने की समझ विकसित करता है। इंजीनियरों के लिए कई जरूरी कौशल स्वाभाविक रूप से नहीं आ सकते। जो लोग इसे सीख जाते हैं वो अपने तकनीकी ज्ञान को कई तरह के उद्योगों में लागू कर सकते हैं। इस क्षेत्र में सफलता 'सॉफ्ट' स्किल्स के साथ-साथ तकनीकी क्षमता के उपयोग से आती है।

प्रो.सिंह ने कहा कि इंजीनियरिंग और इंफार्मेशन सिस्टम को तभी विस्तार दिया जा सकता है जब व्यावहारिक और तकनीकी पहलुओं की समझ विकसित होगी। बेहतर इंजीनियर और प्रबंधक ही किसी परियोजना को मूर्त रूप दे सकता है। इंजीनियरिंग परियोजनाओं का प्रबंधन करने के लिए कामगारों को बजट, डेटा हैंडलिंग, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में महारथी होना जरूरी है। संचार, संगठन और विश्लेषणात्मक क्षमता का संयोजन ही युवाओं की योग्यता की पेशेवर साख को में इजाफा करती है और नियोक्ताओं के लिए आकर्षक बनाती है। इंजीनियरिंग प्रबंधन की तालीम विविध और उपयोगी विषयों को कवर करती है। अमेरिका जैसे देशों में इंजीनियरिंग प्रबंधकों की जबर्दस्त डिमांड है। भारतीय मूल के बहुत से लोग इंजीनियरिंग प्रबंधन के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका सिर्फ उन्हीं युवाओं को अपने देश में बुलाता है जो जिनका ज्ञान और कौशल की स्केल लंबी होती है। ऐसे युवाओं की तादाद आमतौर पर 15 फीसदी होती है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी विषय में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए अमेरिका के किसी भी विश्वविद्यालय में दाखिला न लें। पहले वहां हो रही पढ़ाई के बारे में जानकारी हासिल करें और शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर शिक्षण संस्थानों का चुनाव करें।
अमेरिका के जाने-माने टेक्नोक्रेट प्रबंधक प्रो.नंदलाल सिंह के अशोका इंस्टीट्यूट में पहुंचने पर चेयरमैन अंकित मौर्य ने उनका स्वागत किया। एकल संवाद के बाद श्री मौर्य ने प्रो.सिंह को सम्मानित किया। कार्यक्रम के शुरुआत में निदेशक डा.सारिका श्रीवास्तव ने प्रो.नंदलाल सिंह के बारे में जानकारी दी और इंस्टीट्यूट की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस मौके पर फार्मेसी के निदेशक डा.बृजेश कुमार और अशोका स्कूल आफ बिजनेस के विभागाध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डा.खुशबू कुमार ने किया। संवाद कार्यक्रम में असिस्टेंट प्रो.शर्मिला सिंह, अमित कुमार सिंह, पल्लवी सिंह, प्रीति राय, आदित्य सिंह यादव, सारस्वत राय, अशोक कुमार, विशाल गुप्ता के अलावा वरिष्ठ पत्रकार नागेश्वर सिंह व सीबी तिवारी और बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स मौजूद थे।

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