*जौनपुर: पक्षकारों के वकीलों से यूपी पुलिस सीधे नहीं कर सकेगी मुलाकात, बन रही गाइडलाइन*
यूपी पुलिस अदालतों में विचाराधीन मुकदमों के विवादित स्थलों पर कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं जा सकेगी। न ही वह ऐसे विवादित मामले के पक्षकारों के वकीलों से ही सीधे संपर्क कर सकेगी। राज्य सरकार जल्द ही इस संदर्भ में गाइड लाइन बना जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है।
अपर महाधिवक्ता ने बताया कि सरकार पुलिसकर्मियों को न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे के अधीन स्थानों पर जाने और न्यायालय में विचाराधीन मामलों में पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों से सीधे संपर्क करने से रोकने के लिए राज्यव्यापी दिशा निर्देश बनाएगी। जौनपुर जिले में मुंगराबादशाहपुर के बड़ागांव में गांवसभा की ज़मीन पर अतिक्रमण के आरोप को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी गई। याची 92 वर्षीय गौरीशंकर सरोज ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों पर याचिका वापस लेने के लिए उन्हें धमकाने का आरोप लगाया था। बाद में उनके वकील विष्णुकांत तिवारी ने भी यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके घर पर छापा मारा था।
मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने इन आरोपों को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि वकीलों को उनके पेशेवर कर्तव्यों के पालन के लिए जांच करने का चलन स्वीकार्य नहीं है। इसके बाद एसपी जौनपुर ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि जांच लंबित रहने तक दो पुलिस अधिकारी मुंगराबादशाहपुर एसएचओ दिलीप कुमार सिंह और हल्का इंचार्ज इंद्रदेव सिंह को निलंबित कर दिया गया हैं और संबंधित अन्य पुलिसकर्मियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
यह भी बताया गया कि एसपी जौनपुर ने गत 12 जुलाई को जिला स्तर पर आदेश भी जारी किया है, जिसमें जौनपुर के सभी थानों को निर्देश दिया गया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना मुकदमे से संबंधित स्थानों का दौरा न करें। न्यायालय में विचाराधीन मामलों में आवेदक के अधिवक्ता से सीधे संपर्क न करें। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने गाइड लाइन के लिए दस दिन का समय मांगा है। यह अनुरोध स्वीकार करते हुए न्यायालय ने राज्य सरकार और एसपी जौनपुर को आगे हलफनामा दाखिल करने के लिए दस दिन का समय दिया। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
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