पीडब्लूडी में स्थानान्तरित 59 अभियंताओ का ट्रांसफर होगा रद्द कईयों पर गिरेगी गाज


पीडब्ल्यूडी में स्थानांतरण नीति के खिलाफ जाकर किए गए 59 अभियंताओं के ट्रांसफर रद्द होंगे। वहीं, अभियंताओं के ट्रांसफर में एक के बाद एक मनमानी सामने आ रही है। 10 वर्षों से अधिक समय से जमे इंजीनियरों को छोड़ दिया गया, जबकि कुछ महीने पहले ही तैनाती पाए इंजीनियरों को फिर दूसरी जगह भेज दिया गया। मुख्यालय से संबद्धता में भी खेल सामने आ रहा है। इसलिए कई और अधिकारियों पर गाज गिरना भी तय माना जा रहा है।
पहले शासन की उच्चस्तरीय कमेटी की जांच और अब समीक्षा के दौरान भी बड़ी खामियां सामने आ रही हैं। समूह क और ख के अफसरों के 59 ऐसे स्थानांतरण कर दिए गए, जिसमें नियमानुसार मुख्यमंत्री और मंत्री का अनुमोदन लिया जाना आवश्यक था। इन सभी तबादलों को निरस्त किया जाएगा। पिछले एक वर्ष में मुख्यालय से संबद्ध किए गए इंजीनियरों के प्रकरणों की गंभीर जांच होगी। संबद्धीकरण के जो आदेश गलत पाए जाएंगे उसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
जांच में सामने आया है कि अधिशासी अभियंता या उससे ऊपर के स्तर के 26 अधिकारी ऐसे हैं जो 3 वर्ष की अवधि से अधिक समय से एक ही जगह पर थे, पर उनका स्थानांतरण नहीं किया गया। ऐसा करने के पीछे की वजह भी नहीं बताई गई। इनमें से 12 अभियंता तो ऐसे हैं जो 10 वर्ष से अधिक समय से एक ही स्थान पर तैनात हैं। दूसरी ओर 31 अधिशासी अभियंता ऐसे हैं जिनकी तैनाती को एक माह से लेकर 22 माह की अल्प अवधि ही पूरी हुई थी कि उन्हें दूसरी जगह भेज दिया गया। इसके पीछे किसी प्रशासनिक कारण या शिकायत आदि का जिक्त्रस् भी संबंधित पत्रावली पर नहीं किया गया। देखने में यह भी आया कि बड़ी संख्या में अधिकारियों को मुख्यालय से संबद्ध करने के आदेश दिए गए जबकि कई अधिशासी अभियंता दो-दो खंडों का काम देख रहे हैं।
गोपनीय उच्चस्तरीय रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 जून को सेवानिवृत्त हुए प्रमुख अभियंता (ग्रामीण सड़क) अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने प्रांतीय खंड गोरखपुर में तैनात अवर अभियंता गौरव श्रीवास्तव की तैनाती उसी मंडल में कर दी जिसमें उनके 7 साल पूरे हो चुके थे। ऐसा तब किया गया जब शासन ने पूर्व में इस प्रस्ताव पर आपत्ति उठाई थी।
जांच में यह भी सामने आया है कि 30 जून को सेवानिवृत्त हुए अधीक्षण अभियंता (अधिष्ठान) अनिल कुमार श्रीवास्तव ने सहायक अभियंताओं के स्थानांतरण व तैनाती बैकडेट में की। ये बैक डेटिंग 2 जुलाई से लेकर 5 जुलाई तक की अवधि में की गई। यहां तक कि मुख्यालय का डिस्पैच रजिस्टर भी बैकडेटिंग की ओर इशारा करते हुए मिला है।
कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह की कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह भी कहा है कि विभागाध्यक्ष और अनुभाग की ओर से प्रस्तुत स्थानांतरण प्रस्ताव पर बड़े पैमाने पर पीडब्ल्यूडी मंत्री कार्यालय में संशोधन व परिवर्तन किए गए। यह उनके अधिकार क्षेत्र में तो पूरी तरह से आता है। साथ ही यह भी दिखाता है कि मंत्री के कार्यालय के स्तर से स्थानांतरण के मामले में विस्तृत विश्लेषण किया गया।
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव ने सेतु निगम के प्रबंध निदेशक की पोस्टिंग के विषय को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने का लिखित में अनुरोध किया था लेकिन पीडब्ल्यूडी मंत्री ने यह निर्णय लिया कि यह आदेश उनके स्तर से ही जारी होना चाहिए। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह प्रकरण मुख्यमंत्री के आदेश के लिए प्रस्तुत किया जाना चाहिए था।

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