खुद को तेज मानने वाली पुलिस जरायम की दुनियां के इन चार कुख्यात बदमाशो का पता क्यों नहीं लगा सकी सवाल?

 
पूर्वांचल के जरायम की दुनियां में कुख्यात माने जाने वाले चार इनामी बदमाशों की तलाश वाराणसी पुलिस सहित यूपी एसटीएफ को लंबे अरसे से है। चाहे इसमें माफिया डॉन पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह के चचेरे भाई के हत्या का आरोपी इंद्र देव सिंह उर्फ बीकेडी हो या फिर बागपत जेल में मारे गए डॉन मुन्ना बजरंगी का कभी शार्प शूटर रहा 50 हजार का इनामी विश्वास नेपाली। एक लाख से लेकर 50 हजार तक के वाराणसी शहर के ये टॉप-चार इनामी बदमाश एक दशक से पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। हत्या, लूट, अपहरण सहित रंगदारी जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देने वाले कुख्यातों को पुलिस दबोच नहीं पा रही है।  बनारस से फरार चल रहे एक लाख के ईनामी वांटेड की लिस्ट में इंद्रदेव सिंह उर्फ बीकेडी, 50 हजार का इनामी विश्वास नेपाली, सुनील यादव और अंजीम उर्फ डॉक्टर मुख्य हैं।
कोई सोनभद्र में बालू खनन में लिप्त हैं तो कोई रियल इस्टेट का बिजनेस कर रहे लोगों के लिए ब्लैक मनी इन्वेस्टर बना है। किसी को आजमगढ़ में संरक्षण प्राप्त है तो कोई गोरखपुर से नेपाल बार्डर एक किए हुए है। 
बीकेडी, पूर्वांचल के अपराधियों में एक ऐसा नाम है जो लंबे समय से एक पहेली बना हुआ है। बीकेडी का सिर्फ नाम सुना गया लेकिन देखा किसी ने नहीं। उसकी पुरानी तस्वीर भी पुलिस के पास नहीं है।
पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह के चचेरे भाई सतीश सिंह की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या मामले में इंद्रदेव सिंह बीकेडी फरार चल रहा है। फरारी से पहले बीकेडी का नाम एमएलसी के करीबी अजय सिंह खलनायक पर टकटकपुर में हुई फायरिंग में भी जुड़ा। इसके दो माह बाद जुलाई 2013 में सतीश सिंह को गोली मारकर हत्य कर दी गई थी। 
अलावा बीकेडी का नाम वाराणसी के कई बड़े कारोबारियों से रंगदारी मांगने के मामले में भी आ चुका है। पिछली सरकार में आजमगढ़ निवासी मंत्री ने उसे लंबे समय तक संरक्षण दिया था। मौजूदा वक्त में शासन ने बीकेडी पर एक लाख का ईनाम रखा है।
2010 में सप्तसागर दवा मंडी में रंगदारी के लिए कारोबारी पर फायरिंग के मामले में विश्वास नेपाली का नाम सुर्खियों में आया था। तब से फरार नेपाली का नाम लूट, हत्या के प्रयास सहित रंगदारी के मामलों में उछलता गया। शुरुआती दौर में नेपाली का नाम मुन्ना बजरंगी से भी जुड़ा। विशेश्वरगंज मंडी में रहते हुए नेपाली कई व्यापारियों को धमकी देकर रंगदारी वसूलता रहा। मगर, इधर कुछ सालों से उसका स्थाई नेटवर्क नेपाल बार्डर बताया जा रहा है।
अगस्त 2013 में चंदौली पेशी से लौटते समय चौकाघाट पर पुलिस वैन से कूदकर फरार हुए चोलापुर निवासी सुनील यादव का आतंक सूबे के पूर्ववर्ती सरकार में खूब चला। जमीन कब्जा कराने सहित हत्या और अपहरण जैसे संगीन मामलों में सुनील यादव का नाम प्रकाश में आया। हालांकि सुनील को लेकर चर्चा ये भी है कि विरोधियों ने उसकी हत्या कर बॉडी को ईट भट्ठे में जला दिया। 2015 के बाद से सुनील का चेहरा किसी ने नहीं देखा, मगर पुलिस के रिकॉर्ड में 50 हजार का ईनामी है।
28 मई 2012 को शिवपुर बाईपास में मार्बल कारोबारी सुशील सिंह की हत्या कर सनसनी फैलाने वाले चौबेपुर निवासी अजीम उर्फ डॉक्टर के वारदात भी जघन्य से जघन्य रहे हैं। वहीं अहरौरा के जंगल में 50 हजार के ईनामिया राजेश चौधरी की हुई हत्या में भी अजीम उर्फ डॉक्टर का नाम सामने आया था। मौजूदा समय में अजीम का नेटवर्क सोनभद्र, एमपी बॉर्डर की ओर बढ़ रहा है। कई सफेदपोश के संरक्षण में अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहा है।

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