सूर्य की राशि परिवर्तन से इन चार राशियों के लोंगो का चमकेगा भाग्य, 15 मार्च से 14 अप्रैल तक जानें शुभ मुहूर्त की स्थित

सूर्य की राशि परिवर्तन के साथ ही 15 मार्च से खरमास की शुरुआत होगी। इसके साथ ही 14 अप्रैल तक मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा, लेकिन धार्मिक कृत्य विधि-विधान से संपन्न होंगे। सूर्य का कुंभ से मीन राशि में आगमन चार राशि वालों का भाग्योदय करेगा।
बाकी राशियों के लिए मिलाजुला प्रभाव रहेगा। खरमास के कारण 14 अप्रैल तक और बृहस्पति के अस्त होने के कारण पांच मई तक विवाह के मुहूर्त नहीं मिलेंगे। ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि भगवान भास्कर कुंभ से मीन राशि में 15 मार्च को सुबह 6:34 बजे प्रवेश करेंगे। इसमें 14 अप्रैल तक दिन में दोपहर 2:52 बजे तक रहेंगे।
15 मार्च को सुबह 7:34 बजे तक ज्येष्ठा नक्षत्र और दिन में दोपहर 12:52 बजे तक सिद्धियोग रहेगा। मीन राशि में सूर्य के प्रवेश से मीन संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से दिन में 12-58 बजे तक रहेगा। इस अवधि में स्नान-दान और जप करके पुण्य प्राप्त करना चाहिए।
मीन संक्रांति के प्रारंभ में चंद्रमा वृश्चिक राशि में, सूर्य व गुरु मीन राशि, मंगल मिथुन राशि, बुध व शनि कुंभ राशि, शुक्र व राहु मेष राशि तथा केतु तुला राशि में विराजमान रहेंगे।
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, सूर्य के राशि परिवर्तन से वृषभ, मिथुन, तुला व मकर राशि वालों का भाग्योदय होगा। जिन व्यक्तियों को सूर्य ग्रह का शुभ फल प्राप्त न हो रहा हो, शनि ग्रह की अढ़ैया या साढ़े साती का कुप्रभाव हो, उन्हें अपने हर कार्य में सजगता बरतनी चाहिए। जोखिम भरे कार्यों से बचना चाहिए।
सूर्य के राशि परिवर्तन से मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नव प्रतिष्ठान, वधू प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार, देव प्रतिमा प्रतिष्ठा आदि कार्य स्थगित रहेंगे।
अप्रैल में विवाह के मुहूर्त नहीं
ज्योतिषाचार्य पं. राहुल तिवारी ने बताया कि अप्रैल में भी विवाह नहीं हो सकेंगे। देव गुरु बृहस्पति एक अप्रैल से तीन मई 2023 तक अस्त रहेंगे। शास्त्रों के अनुसार, शादी के लिए बृहस्पति का उदय होना आवश्यक है, क्योंकि इन्हें वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। छह मई से विवाह के मुहूर्त मिलने लगेंगे।
ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो साल में दो बार खरमास आता है। जब -जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं,तब-तब खरमास लगता है। खरमास में सूर्य अपने तेज को देवगुरु बृहस्पति के घर पहुंचते ही कम कर लेते हैं, ऐसी परिस्थिति में पृथ्वी पर सूर्य का तेज कम हो जाता है। सूर्य के कमजोर होने के कारण एक माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लगा दिया जाता है।

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