हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बनी कदीम तरही शबबेदारी, देश-विदेश से आए अजादारों ने पेश किया मातम का नजराना
अंजुमन जाफरिया की शबबेदारी में कर्बला के शहीदों को पेश किया गया आंसुओं का नजराना
जौनपुर। शीराज-ए-हिंद जौनपुर की गंगा-जमुनी तहजीब और कौमी एकता की पहचान बने कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में शनिवार की रात से शुरू हुई कदीम तरही शबबेदारी रविवार की सुबह तक श्रद्धा और आस्था के माहौल में सम्पन्न हुई। अंजुमन जाफरिया के तत्वावधान में आयोजित इस ऐतिहासिक आयोजन में देश-विदेश से आए हजारों अजादारों ने मातम कर कर्बला के प्यासे शहीदों को आंसुओं का नजराना पेश किया।
यह शबबेदारी ना केवल मजहबी श्रद्धा का प्रतीक बनी बल्कि इसमें हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिली। नगर व बाहर से आईं नामचीन अंजुमनों ने नौहा और सोजख्वानी के माध्यम से इमाम हुसैन की शहादत को याद किया और माहौल को ग़मगीन कर दिया।
मौलाना ज़हीर अब्बास अरशद ने रखी मजलिस
कार्यक्रम की मजलिस को खिताब करते हुए प्रसिद्ध आलिम मौलाना ज़हीर अब्बास अरशद ने कहा कि “कर्बला सिर्फ एक जंग नहीं, बल्कि इंसानियत, हक़ और इंसाफ की सबसे बड़ी मिसाल है। हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने अपने परिवार और साथियों की कुर्बानी देकर आने वाली नस्लों को यह पैगाम दिया कि ज़ुल्म के खिलाफ खड़ा होना ही असली इस्लाम है।” उन्होंने शिया समाज को संबोधित करते हुए कहा कि इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाना एक अकीदे और सच्चे इश्क का प्रतीक है।
सोजख्वानी और मातम का माहौल
समर रज़ा और अफरोज़ रज़ा ने दिल को छू जाने वाली सोज़ख़्वानी पेश की, जिससे माहौल पूरी तरह ग़मगीन हो गया। रात भर नौहा, मातम और पेशखानी होती रही। जैसे ही मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने अंतिम मजलिस में कर्बला के दिलसोज मंज़र बयान किए, तो चारों तरफ से सिसकियां और चीख-पुकार की आवाज़ें गूंज उठीं।
मौलाना ने समाज को पैग़ाम देते हुए कहा कि “हर इंसान को अपना लीडर पढ़ा-लिखा, इंसाफपसंद और ईमानदार चुनना चाहिए, तभी इंसानियत को सही दिशा मिल सकती है।”
शबीहे ताबूत का जुलूस
मजलिस के बाद शबीहे ताबूत बरामद हुआ, जिसके साथ नगर व अन्य जनपदों की मशहूर अंजुमनों ने शामिल होकर मातम किया। इनमें प्रमुख रूप से अंजुमन जवादिया (वाराणसी-सुल्तानपुर), अंजुमन सज्जादिया (कोपागंज), अंजुमन अब्बासिया व सज्जादिया (जलालपुर) सहित नगर की कई अंजुमनें मौजूद रहीं।
संचालन व समापन
कार्यक्रम का संचालन जाहिद कानपुरी, बिलाल हसनैन और मोहम्मद अब्बास ऋषभ ने किया।
अंत में अंजुमन जाफरिया के अध्यक्ष नजमुल हसन नजमी ने सभी अंजुमनों, अतिथियों, अजादारों और सहयोगियों का आभार प्रकट किया।
इस मौके पर मास्टर वसीम, सदफ सभासद, शाहनवाज खान, आफताब, हसन अब्बास मोनू, चंदू, रेश्ब, मीनू, डॉ. राहिल, आरिज जैदी, ताबिश जैदी, बिका, सकलैन, अंजुम खान, शकील खान, लाडले खान, अबुज़र जैदी सहित हजारों की संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
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