माता-पिता गुरु और गोमाता की सेवा से बड़ा कोई तीर्थ नहीं: ऋचा मिश्रा
खुटहन, जौनपुर। ख्याति प्राप्त कथावाचिका दीदी ऋचा मिश्रा ने कहा कि माता पिता,गुरु और गोमाता के सेवक को किसी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं होती। संसार के सभी तीर्थ उसकी सेवा के आगे बौने हो जाते हैं। उक्त बातें उसरौली गांव में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि गो माता को कभी पशु मत मानों। वह हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। आज के भौतिकता और व्यावसायिक परिवेश में जहां भी गोमाता का अपमान हो रहा है वे सभी महापाप के भागीदार बन रहे हैं। गाय बूढ़ी हो जाने पर उसे बेसहारा छोड़ने वाले जिस कोख से जन्मे हैं उस मां बाप को भी कभी अपना नहीं समझेंगे। उन्होंने कहा कि मां पिता और गुरु धरती के प्रत्यक्ष देवता हैं। जो इन्हें नहीं पूज सका वह भगवान की क्या पूजा करेगा। ऐसे मानव को नर्क योनि में जाने से स्वयं ईश्वर भी नहीं बचा सकता। उन्होंने कहा कि कलयुग में ईश्वर को पाना अन्य युगों की अपेक्षा बहुत आसान है। गृहस्थ आश्रम का पालन करते हुए झूठ,फरेब, बेइमानी, दुराचरण से खुद को दूर कर लें, मात्र इतने से ही ईश्वर के कृपा पात्र बन जायेंगे। चौरासी लाख योनियों में फिर से भटकने से बच जायेंगे। इस शरीर का उद्धार भी हो जायेगा। इस मौके पर ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि उमेश चन्द्र तिवारी, छोटेलाल मिश्रा, इंद्रभान शुक्ल, नन्हे पाण्डेय, रुद्रमणि मिश्रा,ईशनाराय पाण्डेय, समाजसेवी आकाश सोनी आदि मौजूद रहे। आयोजक राजन मिश्रा ने आगतो के प्रति आभार प्रकट किया।
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