पंचायत चुनावःआरक्षण सूची जारी ग्राम प्रधानों के 20268 पद हो गये अनारक्षित,जाने कैसे हुआ आरक्षण

  

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव 2021 के लिए आरक्षण अधिसूचना जारी कर दी गई है। जारी किए गए अधिसूचना के अनुसार पंचायत अध्यक्ष के 27 पद अनारक्षित, जबकि महिलाओं के लिए 12, ओबीसी के लिए 27 और एससी के लिए 16 पद आरक्षित किये गए हैं। वहीं ब्लॉक प्रमुखों के 826 पदों में से 314 अनारक्षित हैं। महिलाओं के लिए 113, ओबीसी के लिए 223 और एससी के लिए 171 पद आरक्षित किये गए हैं। ग्राम प्रधानों के लिए 20268 पद अनारक्षित रखे गए हैं जबकि महिलाओं के लिए 9739, ओबीसी के लिए 15712, एससी के लिए 12045 और एसटी के लिए 330 पद रिज़र्व किये गए हैं।
इससे पहले अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अधिसूचना को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि 826 ब्लॉक, 58194 ग्राम पंचायतों में वॉर्डों की संख्या का गठन हो चुका है। पंचायत चुनाव में रोटेशन रिजर्वेशन लागू किया जाएगा, पिछले 5 निर्वाचन में हुए आरक्षण का संज्ञान लिया जाएगा। सिंह ने कहा कि जो पद पहले कभी आरक्षित नहीं हुए, उन्हें वरीयता दी जाएगी। 
उन्होंने कहा, 'एससी, ओबीसी, महिला के क्रम में पिछले निर्वाचन को देखते हुए आरक्षण लागू किया गया है। पंचायत चुनाव में कोई भी पंचायत जातिगत आरक्षण से वंचित नहीं रहेगी। अब तक चक्रानुक्रम आरक्षण से ऐसी कई पंचायतें बची रह गईं, जिन्हें ना ओबीसी के लिए आरक्षित किया जा सका और न ही अनुसूचित जाति के लिए। ऐसे में इस बार आरक्षण प्रक्रिया लागू करने के लिए चक्रानुक्रम के तहत नया फार्मूला अपनाया जाएगा।
बता दें कि इस बार उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायतों के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी। वर्ष 1995 में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था और उसमें आरक्षण के प्रावधान लागू किए गए थे लेकिन तब से अब तक हुए पांच पंचायत चुनावों में जिले के कई ग्राम पंचायतें ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत अध्यक्ष के पद आरक्षित होने से वंचित रह गए। ऐसे में इस बार जिला पंचायत परिषद के सभी 20 वार्डों, ग्राम प्रधान के 244 , क्षेत्र पंचायत के 505 और वार्ड सदस्य के 3322 पदों के आरक्षण में चक्रानुक्रम फार्मूला अपनाया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से जारी आदेश में सभी जिलाधिकारियों को कहा गया है कि नियमावली के अनुसार, पंचायतों में आरक्षण चक्रानुक्रम रीति से ही होगा लेकिन जहां तक हो सके, पूर्ववर्ती निर्वाचनों अर्थात सामान्य निर्वाचन वर्ष 1995, 2000, 2010 और वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जनजातियों को आवंटित नहीं की जाएगी और अनुसूचित जातियों को आवंटित जिला पंचायतें अनुसूचित जातियों को आवंटित नहीं की जाएंगी। इसी तरह पिछड़े वर्गों को आवंटित जिला पंचायतें पिछड़े वर्गों को आवंटित नहीं की जाएंगी।

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