ईश्वरी उपदेश के सांचे में ढला हुआ था मौला अली का जीवन :मौलाना महफुजूल हसन



जगह-जगह मनाया गया हजरत अली का जयंती समारोह, शाही किले पर काटा गया बड़ा केक, होती रही महफिलें


जौनपुर। पैगम्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) के दामाद शिया मुसलमानों के पहले इमाम व चौथे खलीफा हजरत इमाम अली इब्ने अबु तालिब का जन्मदिवस जिले में आज शुक्रवार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया। घरों में मीठे-मीठे पकवान बनाये गये तो पूरा शहर मानो दुल्हन की तरह सजा था। हर तरफ बस नारे हैदरी या अली, या अली की सदा सुनायी पड़ रही थी। कहीं लोग ने केक काटा तो कहीं गरीब बेसहारा बच्चों को कॉपी, पेसिंल व किताब बांटकर इमाम के दिये पैगाम पर अमल किया।

शाही किला पर अली फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम व महफिल को खिताब करते हुए विख्यात मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना महफुजूल हसन खान ने कहा कि मुसलमानों के चौथे खलीफा शिया समुदाय के पहले इमाम और पैगम्बरे इस्लाम के दामाद हजरत अली एक ऐसे आदर्श महापुरुष थे जिनका पूरा जीवन ईश्वरी उपदेश के सांचे मे ढला हुआ था। महफिल में मशहूर शायरों ने अपने कलाम पेश कर मौला अली के जिंदगी पर रौशनी डाली । इससे पूर्व इमाम की नज्र की गयी। आयोजक माजिद हसन,अब्बास हुसैन अहसास,शावेज़ हैदर शादाहुल हसन,आज़म ज़ैदी,नेहाल हैदर, शाहिद मेंहदी,साजिद हसन, रेहान,रूमी,मीज़म,सहित  सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। अमन व शांति के पैगाम के लिए आसमान में रंग बिरंगे गुब्बारे छोड़े गये। देर रात्रि तक यहां महफिल का आयोजन चलता रहा जिसमें शहर के कई मशहूर शायरों ने अपने कलाम पेश किये।


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