समर्थवान को नहीं दोष गोसाई चाहे कूद परे भरसाई, कुछ ऐसा है खेल होता है पुलिस और प्राइवेट फाइनेंसर के बीच



जौनपुर। जनपद में वाहन एजेन्सियों और प्राइवेट फाइनेंस कम्पनियों कर्मचारियों  द्वारा गाड़ी फाइनेंस करने के बाद वाहन खरीददारों के शोषण उत्पीड़न का मामला अब प्रकाश में आने लगा। खबर है कि बकाये पैसे के लिए इनके गुर्गे द्वारा वाहन उठाने के साथ वहन पर लदे सामनो की भी लूट का खेल आम बात हो गयी है पुलिस द्वारा फाइनेंस कम्पनियों के लोगों को संरक्षण दिये जाने से उनके हौसले बुलंद है। 
ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जो आरोपों की पुष्टि करता है। बतादें दिवेश सिंह नामक व्यक्ति परमार आटो मोबाइल की एजेन्सी से एक थ्री विलर वाहन फाइनेंस कराके क्रय किया समय से किस्त जमा कर रहा था कोरोना संक्रमण के कारण मार्च में बकाया किस्त नहीं जमा कर सके तो 01अप्रैल 21को अपने वाहन पर सामान लेकर जा रहा था। रास्ते में थाना लाइन बाजार क्षेत्र में खड़े फाइनेन्सर के गुन्डो ने जबरिया वाहन छीन लिया उसपर लदा सामान भी लूट लिये। 
पीडित दिवेश सिंह 07 अप्रैल 21से लगातार मुकदमा थाने में दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दे रहा है पुलिस आज तक मुकदमा तक नहीं दर्ज किया है। पीड़ित ने 22 अप्रैल को इस पूरे प्रकरण को मुख्यमन्त्री के पोर्टल पर डाल कर मुकदमा न दर्ज करने की शिकायत किया तो पुलिस मुकदमा लिखने के बजाय फाइनेंसर कम्पनी के गुर्गो को बचाने में जुटी हुई है अब मामले की जांच का दायित्व अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण को दिया गया है। इस तरह दो माह से इस घटना में जांच दर जांच का खेल चल रहा है। पीड़ित न्याय पाने के लिए पुलिस के चौखट से लेकर सीएम की चौखट तक एड़ियां रगड़ रहा है कहीं से न्याय नहीं किया जा सका है अब देखना है अपर पुलिस अधीक्षक न्याय करते है अथवा न्याय दम तोड़ देता है। 

Comments

Popular posts from this blog

गयादीन विश्वकर्मा इण्टर कालेज के विद्यार्थियों ने बोर्ड परीक्षा में बच्चों ने लहराया परचम

जालसाज़ी के आरोप में जेल में बंद एक बंदी की मौत

जौनपुर पुलिस व एसटीएफ लखनऊ की बड़ी कामयाबी, 50 हजार का इनामी बदमाश गिरफ्तार