हुजूर मैं जिन्दा हूँ वृद्ध ने कोर्ट में लगाई गुहार, मुर्दा दिखाकर बेच दी गई मेरी जमीन,कोर्ट का जानें क्या है एक्शन


सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की शर्मनाक करतूत ने एक अवकाश प्राप्त बुजुर्ग शिक्षक को परेशान करके रख दिया है। मामला सोरांव तहसील के विकासखंड होलागढ़ के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत जूड़ापुर बीहर का है। बुजुर्ग राम सजीवन का आरोप है कि तहसील कर्मियों ने मुझे मुर्दा दिखाकर राजस्व अभिलेखों में दूसरे का नाम दर्ज कर दिया। अब वह थाने और कोर्ट में अपने जिंदा होने का सुबूत दे रहा है।
पीड़ित राम सजीवन ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा कि ... हुजुर मैं जिंदा हूं, कुछ लोगों ने मेरी जमीन को फर्जी ढंग से अपने नाम करा कर बेच दिया। खरीदने वाले लोग जब कब्जा करने आए तब पता चला। राम सजीवन ने कोर्ट को बताया कि शिक्षक रहने के दौरान हमेशा अपने छात्रों को ईमानदारी और अच्छे संस्कारों का पाठ पढ़ाता रहा। साहब यह कैसी व्यवस्था हो गयी है कि मुझे मुर्दा साबित कर मेरी गाढ़ी कमाई से अर्जित जमीन को दूसरे के नाम दर्ज कर दिया गया।
राम सजीवन ने शपथ पत्र देकर बताया कि मैं सेवानिवृत्त शिक्षक हूं। तहसील कर्मियों ने मुर्दा दिखाकर राजस्व अभिलेखों में दूसरे का नाम दर्ज कर दिया। उसने इसे बेच दिया, खरीदने वाले लोग जब कब्जा करने आए तब पता चला। तहसील जाने पर चता चला कि एक वर्ष पूर्व ही मेरी मृत्यु हो चुकी है, और राजस्व अभिलेखों में दूसरे का नाम दर्ज है। बुजुर्ग ने थाने और एसडीएम के सामने पेश होकर खुद को जिंदा होने का सबूत देते हुए न्याय की गुहार लगाई।
15 अक्टूबर को सोरांव थाने में शिकायती पत्र दिया लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर कोर्ट की शरण ली। जूड़ापुर बीहर में उसकी भूमि को अवैध रुप से हथियाने के लिए गांव के ही कुछ लोगों ने षड्यंत्र रचा है। 
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरेंद्र नाथ ने तहसील सोरांव में तैनात राजस्व निरीक्षक राजेंद्र सिंह हल्का लेखपाल हृदय पाल समेत पांच लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है कोर्ट ने कहा थाना प्रभारी सोरांव आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत विवेचना शुरू करें मुकदमा दर्ज करने के बाद अदालत को सूचित करें।
अवकाश प्राप्त शिक्षक राम सजीवन मिश्र की जमीन पर 22 अक्टूबर को कुछ लोग आकर नाप जोख करने लगे पूंछने पर बताया कि यह जमीन हम लोग खरीद रहे हैं। राम सजीवन ने कहा यह जमीन मेरी है तो उन्होंने जमीन का कागज अपने नाम दिखाया। तहसील जाने पर अभिलेख चेक करने पर पता चला कि जमीन पर राम सजीवन के जीवित रहते उसकी मृत्यु रिपोर्ट तहसीलदार को देकर अपना नाम दर्ज करवा लिया। थाने और तहसील में कोई सुनवाई नहीं होने पर कोर्ट की शरण ली।

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